गर्मियों की शुरुआत होते ही भारत में किसान बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती करते हैं। इस मौसम में इसकी मांग काफी अधिक होती है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।
यदि तरबूज की खेती वैज्ञानिक और योजनाबद्ध तरीके से की जाए, तो यह एक लाभदायक व्यवसाय बन सकता है।
सागर किंग तरबूज की बुवाई का सही समय फरवरी से मार्च तक होता है। इस समय बोया गया तरबूज गर्मियों में पककर तैयार हो जाता है, जब इसकी खपत सबसे अधिक होती है।
अन्य फलों की तुलना में तरबूज को कम समय, कम पानी और कम उर्वरकों की आवश्यकता होती है। गर्मियों में यह फल शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है, जिससे इसकी बाजार में भारी मांग बनी रहती है।
सागर किंग तरबूज की खेती के लिए गर्म और मध्यम आर्द्रता वाली जलवायु उपयुक्त मानी जाती है।
इसका सर्वोत्तम तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। रेतीली और दोमट रेतीली मिट्टी इस फसल के लिए सबसे बेहतर होती है।
खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से जोता जाता है ताकि मिट्टी में मौजूद कीटों के अंडे और खरपतवार खत्म हो जाएं। इसके बाद हैरो की मदद से मिट्टी को भुरभुरा और समतल किया जाता है।
नर्सरी तैयार करने के लिए 200 गेज की पॉलिथीन बैग या संरक्षित नर्सरी ट्रे का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पॉलिथीन बैग में काली मिट्टी, बालू और गोबर की खाद को 1:1:1 के अनुपात में भरकर पौध तैयार किए जाते हैं। 12 दिन बाद इन पौधों को खेत में रोपित किया जाता है।
ये भी पढ़ें: पीले तरबूज की खेती: अधिक लाभ कमाने का शानदार अवसर
ड्रिप सिंचाई के लिए मुख्य पाइप और पार्श्व पाइप का प्रयोग करें। ड्रिपर्स को 50 से 60 सेमी की दूरी पर रखें, जो 3.5 से 4 लीटर प्रति घंटा पानी की आपूर्ति करें। यह प्रणाली पानी की बचत के साथ पौधों को सटीक मात्रा में नमी देती है।
फलों की कटाई तब की जाती है जब थपथपाने पर धीमी आवाज उत्पन्न होती है या फल की सतह जमीन पर हल्के पीले रंग का दिखाई देता है, ये तरबूज की कटाई का सूचकांक है।