पीले तरबूज की खेती: अधिक लाभ कमाने का शानदार अवसर

By : Tractorbird News Published on : 04-Apr-2025
पीले

गर्मियों के आते ही किसान बड़े पैमाने पर पीले तरबूज की खेती शुरू कर देते हैं, क्योंकि इस मौसम में इसकी मांग काफी अधिक होती है। उन्नत कृषि तकनीकों और सही रणनीति अपनाकर किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

हाल के वर्षों में पीले तरबूज की खेती को लेकर काफी रुचि बढ़ी है, क्योंकि इसकी कीमत बाजार में बेहतर मिलती है। 

इस लेख में हम आपको पीले तरबूज की खेती के महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी देंगे, जिससे आप अधिक उत्पादन और बेहतर आय प्राप्त कर सकें।

पीले तरबूज की खेती के लिए सही समय

  • पीले तरबूज की बुवाई का सबसे अनुकूल समय फरवरी और मार्च का महीना होता है, जिससे गर्मियों के दौरान अच्छी गुणवत्ता की फसल तैयार हो जाती है। 
  • अन्य फसलों की तुलना में तरबूज की खेती में कम समय, कम खाद और पानी की जरूरत होती है। 
  • गर्मी के मौसम में लोग डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरबूज का अधिक सेवन करते हैं, जिससे इसकी बाजार में मांग बढ़ती है और किसानों को अधिक लाभ मिलता है।

पीले तरबूज के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी

  • इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु और मध्यम आर्द्रता वाले क्षेत्र सबसे अनुकूल होते हैं। 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान में तरबूज का पौधा अच्छी तरह बढ़ता है और स्वस्थ फल विकसित करता है। 
  • तरबूज की खेती के लिए रेतीली और दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है, क्योंकि यह मिट्टी अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करती है, जिससे फसल की वृद्धि बेहतर होती है।

खेत की उचित तैयारी

  • पीले तरबूज की खेती से पहले खेत को हल चलाकर जोता जाता है, जिससे खरपतवार और हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं। 
  • इसके बाद हैरो और कल्टीवेटर की सहायता से मिट्टी को भुरभुरा और समतल किया जाता है, जिससे फसल की जड़ें आसानी से फैल सकें। खेत की उर्वरता बनाए रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। 

नर्सरी की उचित तैयारी

  • पीले तरबूज की पौध तैयार करने के लिए 200 गेज मोटाई के 10 सेमी व्यास और 15 सेमी ऊंचाई वाले पॉलीबैग का उपयोग किया जाता है। 
  • इन बैगों में काली मिट्टी, बालू और गोबर की खाद को बराबर मात्रा में मिलाकर भरा जाता है। 
  • पौध तैयार करने के लिए ट्रे का भी उपयोग किया जा सकता है, जिसमें 98 कोशिकाएं होनी चाहिए। लगभग 12 दिन पुराने पौधों को मुख्य खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है।

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बीज बुवाई की विधि

  • ड्रिप सिंचाई प्रणाली की ट्यूबों को प्रत्येक क्यारी के केंद्र में बिछाया जाता है और लगभग 8-12 घंटे तक लगातार पानी दिया जाता है। 
  • बुवाई से पहले खरपतवारनाशी (पेंडीमिथालिन @250 किग्रा a.i/ha) का छिड़काव किया जाता है। 
  • खेत में 1.2 मीटर चौड़ी और 30 सेमी ऊंची क्यारियां बनाई जाती हैं, और पौधों को 60 सेंटीमीटर की दूरी पर गड्ढों में रोपा जाता है, जिससे उन्हें भरपूर पोषण और पानी मिल सके।

उर्वरक और पोषक तत्व प्रबंधन

  • खेत की अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 8 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद डाली जाती है। इसके अतिरिक्त, 1 किलोग्राम एजोस्पिरिलम और फॉस्फोबैक्टीरिया, 50 किलोग्राम एफवाईएम और 40 किलोग्राम नीम केक मिलाया जाता है। 
  • जब पौधा 10-20 दिन का हो जाता है, तब 22 किग्रा फॉस्फोरस, 22 किग्रा यूरिया और 22 किग्रा पोटाश दिया जाता है। 
  • उर्वरक देने की प्रक्रिया को फर्टिगेशन प्रणाली द्वारा भी किया जा सकता है, जिससे फसल को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिलते रहें।

सिंचाई प्रणाली और जल प्रबंधन

  • ड्रिप सिंचाई प्रणाली के तहत मुख्य पाइप और उप-पाइप स्थापित किए जाते हैं। पार्श्व पाइपों को 1.5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, जिससे प्रत्येक पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता है। 
  • इन पाइपों में 60 सेमी और 50 सेमी के अंतराल पर क्रमशः 4 एलपीएच और 3.5 एलपीएच क्षमता वाले ड्रिपर्स लगाए जाते हैं। इससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को निरंतर नमी मिलती रहती है।

फसल की देखभाल और रोग नियंत्रण

  • पीले तरबूज की खेती के दौरान कीट और रोगों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें और उचित उपचार करें। 
  • अत्यधिक नमी से पौधों में फफूंदी और कीट संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सिंचाई का ध्यानपूर्वक प्रबंधन करें।

सफल खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

- सही समय पर बुवाई करें, ताकि गर्मियों में अच्छी फसल प्राप्त हो सके।

- जैविक खाद का अधिक से अधिक उपयोग करें, जिससे उत्पादन बेहतर हो।

- ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाकर पानी की बचत करें और पौधों को निरंतर नमी प्रदान करें।

- पौधों के बीच उचित दूरी रखें, जिससे फसल में हवा और प्रकाश का अच्छा संचार हो।

- नियमित रूप से खरपतवार नियंत्रण करें, ताकि फसल को अधिक पोषण मिल सके।

पीले तरबूज की खेती किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभकारी कृषि व्यवसाय साबित हो सकती है। उचित जलवायु, सही सिंचाई तकनीक और जैविक खाद के उपयोग से इस फसल की उपज को अधिक बढ़ाया जा सकता है। 

गर्मियों में इसकी मांग बढ़ने के कारण किसान इसे उगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। 

अगर आधुनिक तकनीकों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो पीले तरबूज की खेती से किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक आय प्राप्त हो सकती है।

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