उत्पादकता और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए मिट्टी रहित खेती के लिए हाइड्रोपोनिक्स पारंपरिक खेती के तरीकों का एक व्यवहार्य विकल्प है। हाइड्रोपोनिक्स भारत में एक नई अवधारणा है और किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है, जो फसल उगाने के टिकाऊ और कुशल तरीकों की तलाश कर रहे हैं। वर्तमान में, यह तकनीक ज्यादातर शहरी खेती, छत पर बागवानी और व्यावसायिक खेती तक ही सीमित है।
आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु (आईआईएचआर) ने सब्सट्रेट के रूप में कोकोपीट का उपयोग करके हाइड्रोपोनिक्स का एक प्रकार, "कोकोपोनिक्स" या सब्जियों का मिट्टी रहित
उत्पादन विकसित किया है, जो कई सब्जी फसलों में तुलनात्मक रूप से अधिक सफल पाया गया है।
संस्थान ने तोरई, रंगीन गोभी, मिर्च, बैंगन, पालक, ऐमारैंथस, धनिया, ककड़ी, फ्रेंच बीन, मटर, लोबिया, डोलिचोस की मिट्टी रहित खेती के लिए तरल पोषक तत्व फॉर्मूलेशन (अर्का सस्य पोषक रस) सहित संपूर्ण उत्पादन तकनीक विकसित की है।
तुरई, लौकी, भिंडी, मूली, टमाटर और विदेशी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे सलाद, अजमोद, ब्रोकोली, बोक चॉय आदि अर्का किण्वित कोकोपीट (सब्सट्रेट) पर खुले में और साथ ही संरक्षित परिस्थितियों में भी उगाए जा सकते हैं।
विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से पिछले 3 वर्षों के दौरान आईसीएआर-आईआईएचआर में 3000 से अधिक शहरी निवासियों, कोकोपीट उत्पादकों, हाइड्रोपोनिक्स स्टार्ट अप आदि को प्रशिक्षित किया गया है।