ज्वार की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
By : Tractorbird News Published on : 14-Aug-2023
1. चारकोल रॉट
ये रोग फंफूद जनित है। इस रोग से संक्रमित पौधों के तने मध्य भाग में सुकुड़ जाते है। जड़ को फाड़कर देखने पर काले रंग के स्क्लेरोशिया दिखाई देते हैं। इस रोग से संक्रमित पौधे हल्की हवा चलने पर टूटकर गिर जाते हैं।
रोग नियंत्रण के उपाय
ये भूमि जनित रोग है, तो इस रोग के नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाएं।
2. एन्थ्रकनोज
इस रोग के धब्बे गोल तथा अण्डाकार होते हैं , जिनका किनारा रंगीन और केन्द्र सफेद होता है।
ये धब्बे 2-4 मि.मी. लम्बे और 1.2 मि.मी. चौड़े होते हैं।
ये धब्बे आकार में बढ़ते और इनके केन्द्र में ' काला डॉट ' जिसे एसर बुलाई कहते हैं । इस रोग में बहुत से धब्बे पैदा होकर पत्ती को सूखा देते है। यह बीमारी रोगग्रस्त बीज तथा कंडवी रोग ग्रसित पत्तियों से पैदा होती है।
रोग नियंत्रण के उपाय
- रोग से बचने के लिए खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट करें।
- फसल चक्र अपनाएं।
- प्रतिरोधी किस्में जैसे सी.एस.एच.-1 और सी.एस.एच.-2 की ही बुवाई करें।
- 3.0 ग्राम/ कि.ग्रा. बीज थाईरम या 1.5 ग्राम/कि.ग्रा बीज कार्बानडिजिम से बीज उपचारित करें।
- खड़ी फसल पर मेनकोजेब 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से फसल पर छिड़काव करें।
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3. अर्गट
यह बीमारी ज्वार में भुट्टे निकलते समय यदि पानी बरसता है तो पैदा होती है।
इस रोग से ग्रस्त पौधों में कुछ दिनों बाद सख्त भूरे रंग के सींग के समान संरचना दिखाई देती है जो कि रोग जनक के स्क्लेरोशिया होते हैं।
रोग नियंत्रण के उपाय
- रोग से बचाव के लिए खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट करें।
- फसल चक्र अपनाएं।
- प्रतिरोधक किस्में जैसे सी.एस.एच.-1, एस.पी.एच-1 और एस.पी.वी-191 की बुवाई करें।
- स्क्लेरोशिया मुक्त बीज बोयें।
- बीज बोने से पहले 20 प्रतिशत नमक के घोल में डुबाकर बीज को स्क्लेरोशिया मुक्त कर उपचारित करें।
4. ग्रेन स्मट ( कंड रोग)
दानों के कंड रोग की पहचान आसान है। इस रोग के लक्षण दाने भरते समय दिखाई देते हैं।
रोग से ग्रस्त पौधों के भुट्टो में काला चूर्ण भर जाता है। बीजों को तोड़ने पर उनमें चूर्ण भरा दिखाई देता है।रोग नियंत्रण के उपाय
- फसल चक्र अपनाएं।
- खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट करें।
- रोग की रोकथाम के लिए 3.0 ग्राम/ कि.ग्रा. बीज थाईरम या 1.5 ग्राम/कि.ग्रा बीज कार्बानडिजिम से बीज उपचारित करें।
- खड़ी फसल में मेनकोजेब 3.0 ग्राम /लीटर की दर से छिड़काव करें।
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5. डाऊनी मिल्डयू
रोग से प्रभावित पौधे की पत्तियां हल्के पीले रंग की होती हैं और उन पर सूक्ष्म मुदरोमिल वृध्दि दिखाई देते हैं।
पौधे कमजोर हो जाते हैं और 5-6 सप्ताह बाद पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं।
बाद में पत्तियां फटकर चिथड़े हो जाती हैं। पौधों की वृध्दि रूक जाती है।
रोग नियंत्रण के उपाय
- 4.0 ग्राम/ कि.ग्रा. बीज मेटालेक्सल से बीज उपचारित करें।
- मेनकोजेब 3.0 ग्राम /लीटर की दर से फसल पर छिड़काव करें।
- प्रतिरोधक किस्म बोये।
- फसल चक्र अपनाएं।
- प्रभावित पौधे के अवशेष नष्ट कर दें।
6. लीफ रस्ट
फसल की हर अवस्था रोग से प्रभावित होती है। रोग निचली पत्तियों के किनारों से शुरू होता है।
धब्बे ज्यादातर निचली सतह पर होते हैं।
रोग ग्रस्त पत्ती भूरे धब्बे से घिरी रहती है तथा धब्बों पर हाथ रगड़ने पर रंग निकलता है। पौधों का विकास थम जाता है और पत्तियां समय से पहले सूखकर गिर जाती हैं।
रोग नियंत्रण के उपाय
- 3 ग्राम/ मेनकोजेब 10 से 12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
- फसल चक्र अपनाएं।
- खेत की समय-समय पर साफ सफाई करें।