धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण
By : Tractorbird News Published on : 07-Aug-2023
भारत दुनिया के सबसे बड़े धान उत्पादक देशों में से एक है। सम्पूर्ण विश्व का 25 प्रतिशत धान का उत्पादन भारत में होता है। धान भारत की प्रधान फसल है। भारत देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग कृषि से ही अपना गुजारा कर रहे हैं।
देखा जाय तो इस युग में खेती करना अब इतना आसान नही रह गया है। जितनी कृषि में आधुनिकता आई है उतना ही बिमारियों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। वैसे तो धान की फसल में बहुत से कीड़े और बीमारियां आती हैं जो धान की फसल की पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
इस लेख में हम आपको धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
तना छेदक
- इस कीट की सूडी अवस्था आक्रमक तथा क्षतिकारी होती है |
- इसमें सूड़ियाँ मध्य कलिकाओं की पत्तियों को छेदकर अन्दर घुस जाती है तथा अन्दर ही अन्दर तने को खाती हुई गाँठ तक चली जाती है |
- अगर इस कीट का प्रकोप पौधे की बढ़कर अवस्था में अधिक होता है तो पौधों में बालियाँ नहीं निकलती है |
- यदि बाली अवस्था में प्रकोप हो तो बालियाँ सूखकर सफेद पड़ जाती है तथा दाने नहीं बनते | इस कीट का प्रकोप पर्वतीय क्षत्रों में असिंचित धान में तना छेदक की अपेक्षा अधिक पाया जाता है |
- इस कीट को नियंत्रण करने के लिए Chlorantraniliprole (18.5% SC)या fipronil 80% WG की 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते है। जो प्रत्येक एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
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धान का पत्ती लपेटक कीट
- इस कीट की मादा पत्तियों की शिराओं के पास समूह में अंडे देती है। जिनसे 6 से 8 दिन में सुंडियाँ निकलकर पहले मुलायम पत्तियों को खाती है।
- तथा बाद में अपने लार द्वारा रेशमी धागा बनाकर पत्तियों के किनारों को मोड़ देती है।
- यह सुंडियों पत्तियों को अंदर ही अंदर खुरचकर खाती है।
- जिससे धान की पत्तियाँ सफेद व झुलसी हुई दिखाई देती है |
- इस कीट का प्रकोप अगस्त – सतम्बर माह में अधिक होता है |
- इस कीट से बचाव के लिए 5 प्रतिशत WP की 500 – 600 ग्राम मात्रा प्रति एकेड की दर से छिडकाव करें |
ब्राउन प्लांट हॉपर यानि की भूरा तला
- यह कीट हल्के या गहरे भूरे रंग का होता है।
- इसकी देह की लम्बाई लगभग 3 मि.मी. होती है।
- इस कीट का नर लगभग 2.5 मिमी. लम्बा और मादा 3.3 मि.मी. लम्बी होती है।
- यह कीट धान के पौधे के तने से रस चूसकर फ्लोएम एवं जायलम को बन्द कर देता है।
- तने के बीच के पिथ को खाकर भर देता है। फसल में इस कीट का प्रकोप होने पर सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
- इससे पत्तियाँ सूखी हुई एवं भूरी हो जाती हैं और इस अवस्था को ”फुदका झुलसा/ HOPPER BURN” कहा जाता है।
- यह प्रारम्भ में एक स्थान पर रहता है, मगर धीरे-धीरे सम्पूर्ण खेत में फैल जाता है।
- प्लांट हॉपर को 120 ग्राम ASTRA 50 डब्ल्यूजी (पाइमेट्रोजिन) या 40 मिली Imida 200 एसएल / 17.8 एसएल (इमिडाक्लोप्रिड) का 150 लीटर पानी में छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
धान का गूंधी बग किट
- इस कीट का व्यस्क लम्बा, पतला व हरे रंग का उड़ने वाला होता है।
- इस कीट से आने वाले दुर्गन्ध से भी इस कीट की पहचान की जा सकती है |
- यह कीट दुधिया दानों को चूसकर क्षति पहुंचाता है।
- जिससे दानों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं तथा दाने अंदर से खोखले हो जाते हैं |
- यदि एक या एक से ज्यादा कीट प्रति पौधा दिखाई दें तो मेलाथिऑन 5% wp की 500 – 600 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें |