गर्मियों में पशुओं को खिलाए मकचरी होगा बंपर दूध का उत्पादन
By : Tractorbird News Published on : 20-Feb-2025
भारत में किसान खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं, जिससे उनकी आजीविका को सहारा मिलता है।
पशुपालकों को अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए पशुओं को संतुलित और पोषक आहार देना आवश्यक होता है, जिसमें हरा चारा अहम भूमिका निभाता है।
गर्मियों में यदि पशुओं को पर्याप्त हरा चारा मिलता रहे, तो उनके दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। इस लेख में हम मकचरी नामक एक चारे की जानकारी देंगे।
मकचरी क्या है?
- मकचरी एक उच्च उत्पादक चारा फसल है, जिसकी पत्तियाँ संकरी और गहरे हरे रंग की होती हैं, जो लंबे समय तक ताजी बनी रहती हैं।
- यह फसल हरे चारे, सूखे चारे और सिलेज के रूप में उपयोग की जा सकती है।
- इसे अम्लीय मिट्टी में उगाया जा सकता है और ऐसे क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है जहां जलभराव की स्थिति होती है।
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मकचरी की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
उपयुक्त जलवायु
- मकचरी एक बहु-कटाई (मल्टीकट) चारा फसल है, जो गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है।
- यह मक्का जैसी दिखती है, लेकिन इसमें अधिक तिल्लीकरण (टिलरिंग) होता है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छे परिणाम देती है।
उपयुक्त मिट्टी
- मकचरी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट से लेकर दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसका pH 5.5 से 7.0 के बीच हो।
- खेत की जुताई के बाद खरपतवार रहित बुआई के लिए दो बार हैरो और पाटा लगाकर उत्तम बीज बिस्तर तैयार किया जाता है।
बुआई प्रक्रिया
बुआई का सही समय
- गर्मी की फसल: मार्च से मध्य अप्रैल तक इसकी बुवाई की जाती है।
- मानसून की फसल: जून या जुलाई (मानसून शुरू होने के बाद) में बुवाई की जाती है।
बीज दर और बुआई की विधि
- बुआई विधि: ड्रिल या केरा विधि अपनाएं, जिसमें पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी की दूरी रखें। इसकी खेती में 35-45 किग्रा/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
- बीजों को एग्रोसैन जीएन या थिराम (3.0 ग्राम/किग्रा बीज) से उपचारित करें ताकि बीमारियों से बचा जा सके।
कटाई प्रक्रिया
चारे के लिए पहली कटाई बुआई के 60-70 दिन बाद करें। इसके बाद प्रत्येक 40-45 दिन के अंतराल में कटाई करें ताकि अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके।