नेपियर घास की खेती: पशुपालकों के लिए सस्ता और लाभकारी चारा विकल्प
By : Tractorbird News Published on : 28-Dec-2024
नेपियर घास, जिसको हाथी घास भी कहा जाता है। यह तीव्रता से बढ़ने वाली और पोषण से युक्त घास है। इसकी खेती कृषकों को ना सिर्फ चारे की दिक्कत से निजात दिलाती है। इसके साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी का भी साधन बन सकती है।
नेपियर घास की खेती पशुपालक कृषकों के लिए एक उत्तम विकल्प है। नेपियर घास ना सिर्फ चारे की पूर्ती के लिए अच्छा है, बल्कि कृषकों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का भी कार्य करती है।
अगर सही ढ़ंग से इसकी कृषि करें तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों की आमदनी बढ़ाने और समृद्धि लाने में सहायक साबित हो सकती है।
भारत में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग कृषकों के लिए काफी महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि मानी जाती है। इससे दूध, खाद और अन्य कृषि उत्पाद हांसिल होते हैं।
पशु का समुचित दुग्ध उत्पादन और स्वास्थ्य के लिए मवेशियों को पोषकयुक्त चारा देने की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में कृषकों के लिए नेपियर घास की खेती एक उत्तम विकल्प साबित हो सकती है।
नेपियर घास की क्या-क्या खूबियां हैं?
- नेपियर घास को उत्पादित करने के बाद यह 50-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी 5-6 कटाई वर्षभर में की जा सकती है।
- नेपियर घास में प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो दूधारू मवेशियों के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह पशुओं के स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन में सुधार करता है।
- इसे कम उपजाऊ और बंजर भूमि पर भी उगाया जा सकता है। यह भूमि सुधार में भी सहायक है। नेपियर घास की खेती में लागत कम आती है, और चारे की बिक्री से अच्छी कमाई की जा सकती है।
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नेपियर घास की किस्मों का चयन उपयुक्त मृदा और भूमि
- नेपियर घास को हर तरह की मृदा में आसानी से उगाया जा सकता है। परंतु, बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक अनुकूल मानी जाती है।
- किसानों को जमीन को सही ढंग से जोतकर समतल करना चाहिए और खरपतवार को पूरी तरह हटा देना चाहिए।
- भारत में नेपियर घास की विभिन्न उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिसमें ‘CO-3’ और ‘CO-4’ शम्मिलित है। किसान इन किस्मों की खेती करके ज्यादा उपज और पोषण प्रदान कर सकते हैं।
नेपियर घास के लिए समय, खाद और सिंचाई
- नेपियर घास की रोपाई के लिए सर्वाधिक अनुकूल समय मानसून की शुरूआत मतलब जून-जुलाई को माना जाता है।
- इसकी रोपाई करने से पूर्व कृषकों को उपयुक्त दूरी की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक होता है। किसानों को एक पौधे से दूसरे पौधे के मध्य का फासला 50 से 60 सेंटीमीटर तक रखना चाहिए।
- किसानों को नेपियर घास की रोपाई के समय गोबर की खाद या नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए, इससे अधिक गुणवक्ता के साथ-साथ ज्यादा उपज प्राप्त हो सकती है।
- इसको नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। इसके अलावा, गर्मियों के दिनों में किसानों को नेपियर घास की अधिक सिंचाई करनी चाहिए।
- नेपियर घास की रोपाई के तकरीबन 60 दिनों के पश्चात इसकी प्रथम कटाई की जा सकती है। इसके बाद किसान हर 30 से 40 दिनों के उपरांत घास की काफी सहजता से कटाई कर सकते है।
नेपियर घास की खेती के विभिन्न अद्भुत लाभ
नेपियर घास की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। यह उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से दूध उत्पादन में वृद्धि करती है और पशुओं के स्वास्थ्य को अच्छा बनाती है।
नेपियर घास तेजी से बढ़ने वाली घास है, जो अन्य चारे की तुलना में कम लागत में ज्यादा उत्पादन देती है।
इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं और भूमि की उर्वरता में भी काफी सुधार करती हैं। कम पानी और कम देखभाल में भी यह घास काफी शानदार उपज प्रदान करती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त फायदा होता है। यह एक टिकाऊ और आर्थिक विकल्प है, जो पशुपालन को और ज्यादा लाभकारी बनाता है।
नेपियर घास की खेती कृषकों के लिए आर्थिक तौर पर काफी फायदेमंद होती है। एक हेक्टेयर में नेपियर घास की खेती से वार्षिक 300 से 400 टन चारा हांसिल किया जा सकता है।
बाजार के अंदर इस चारे की काफी शानदार कीमत प्राप्त हो जाती है और इससे अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित की जा सकती है।