बाजरे की फसल को रोगों और कीटों से बचाने के उपाय

By : Tractorbird News Published on : 12-Aug-2024
बाजरे

वर्तमान मौसम में, जब फसलें बढ़वार की अवस्था में हैं, तो फसलों में कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं। 

इस स्थिति में कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क रहने और फसल को कीटों और रोगों से बचाने की सलाह दी है। 

कृषि विभाग के उप निदेशक (शस्य), मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि बाजरा राजस्थान की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। 

वर्तमान समय में बाजरा की फसल में तुलासिता रोग, ब्लास्ट रोग, सफेद लट, प्ररोह मक्खी, तना छेदक, और कातरा कीट जैसे कीटों और रोगों का प्रकोप हो सकता है।

बाजरा की फसल को इन कीटों और रोगों से बचाने के लिए विभाग द्वारा सिफारिश की गई विधियों का ही पालन करते हुए उपचार करना चाहिए। 

छिड़काव के दौरान किसान को दस्ताने, चश्मा, मास्क, और पूरे कपड़े पहनने चाहिए। किसान को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि छिड़काव तभी करें जब मौसम साफ हो।

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बाजरा में लग रहा है इन रोगों का प्रकोप 

  • कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि तुलसिता रोग से बचाव के लिए जिन खेतों में इस रोग का प्रकोप दिख रहा है, वहां बुवाई के 21 दिन बाद मैन्कोजेब 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
  • ब्लास्ट रोग का प्रारंभिक प्रकोप दिखने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या ट्राइफलोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत के साथ टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत (75 डब्ल्यूजी) का 0.05 प्रतिशत घोल तैयार कर छिड़काव करें।
  • इस छिड़काव को 15 दिन बाद पुनः दोहराएं।

बाजरा में लगने वाले कीटों का नियंत्रण 

  • कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि कातरा को नियंत्रित करने के लिए 25 किलो प्रति हेक्टेयर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण फसल और फसल के पास उगे जंगली पौधों पर भुरकाव करें।
  • लटों को खेत में आने से रोकने के लिए खेत के चारों ओर खाई खोदकर 1.5 प्रतिशत क्यूनालफॉस चूर्ण भुरक डालें।
  • जहां पानी उपलब्ध हो, वहां क्यूनालफॉस 25 ईसी 625 मिलीलीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL का 60 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर बुवाई के 21 दिन बाद खड़ी फसल में दीमक और सफेद लट को नियंत्रित करने के लिए उपयोग करें।
  • अंकुरण के 35 दिन बाद 40 प्रतिशत फिप्रोनिल और 40 प्रतिशत इमिडाक्लोप्रिड का 5 ग्राम प्रति 10 
  • लीटर पानी के हिसाब से प्रयोग करें, ताकि प्ररोह मक्खी और तना छेदक को नियंत्रित किया जा सके।
  • फड़का का प्रकोप कम करने के लिए 25 किलो प्रति हेक्टेयर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण भुरकाव करें।

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