छत्तीसगढ़ में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। इन्हीं में से एक राखी उद्योग है। स्व सहायता समूह इन दिनों गोठानों में गोबर की राखियां तैयार कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इन राखियों की डिमांड छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में बढ़ी है।
लोगों को इको फ्रेंडली राखियां बहुत पसंद आ रही हैं। इस बार भी राखी के त्योहार में गोबर से बनी राखियां बाजार में रंग जमाए हुए हैं। लोगों को आज कल ये राखियां बहुत पसंद आ रही है। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ की गोबर की बनी राखियों की डिमांड छत्तीसगढ़ के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों के बाजारों में हैं।
रायपुर के गौठानों में महिलाएं गोबर की सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं। इसके लिए अयोध्या से राखियों का ऑर्डर भी रायपुर पहुंचा है। इस रक्षाबंधन में करीब 3 हजार से ज्यादा राखियां रायपुर के गोकुल नगर गौठान में तैयार की गई हैं। पिछले साल एक गौठान को ही विभिन्न राज्यों से लगभग 70 हजार राखियों की मांग आई थी।
गौशाला में बन रही राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं। इसमें गोबर, औषधि युक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि आकर्षक लुक में नजर आएं। यही कारण है कि इन राखियों की मांग कई महानगरों से आने लगी है।
रायपुर के गौठान में जो राखियां तैयार की हुई हैं, इनमें खास बात यह है कि हर राखी के बीच में तुलसी के बीज डाले गए हैं, जिससे अगर इन राखियों को मिट्टी से भरे गमले में डाला जाएगा तो उसमें से भी पौधा अंकुरित हो जाएगा। गोबर को हमेशा से शुद्ध और पवित्र माना गया है और इसमें तुलसी के बीज जाने के बाद यह और भी ज्यादा खास हो गई है।