भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानी पर अधिक ध्यान दिया जाता है, लेकिन किसान खेती बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन में भी रुचि बढ़ा रहे हैं। इसे अब देश भर में किया जाता है। इससे लगता है कि भारत आज पशुपलान क्षेत्र में दुसरे स्थान पर है। देश में डेरी उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण दूध की खपत भी बढ़ी है। जिससे किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं और डेयरी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है।
सूरती भैंस, माही और साबरमती नदियों के बीच गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा में पाए जाते हैं। गुजरात के बड़ौदा, आनंद और कैरा जिलों में इस नस्ल की बेहतरीन भैंसें पाई जाती हैं। इसकी औसत उत्पादन क्षमता प्रति व्यात 1600 से 1800 लीटर है, और इसके दूध में 8 से 12 प्रतिशत वसा होता है। इस नस्ल की भैंस प्रतिदिन 14 लीटर दूध दे सकती है। यह भूरे से सिल्वर सलेटी, काला या भूरा हो सकता है। उसकी सींगों में दराती के आकार की सींग, लंबा सिर और मध्यम आकार का नुकीला धड़ है।
सुरती भैंस को स्थानीय भाषानुसार कई नामों से भी जाना जाता है। इनका स्थानीय नाम चरोटारी, दक्कनी, गुजराती, नडियाडी और तालाबारा है। सुरती भैंस एक उन्नत किस्म है क्योंकि यह बहुत अधिक दूध देती है। यही कारण है कि अगर आप भी इस भैंस को कमाई का साधन बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले इसकी पहचान, कीमत और विशेषताओं को जानना महत्वपूर्ण है। आइए इस भैंस के बारे में अधिक जानते हैं। इस नस्ल की भैंस की बाजार कीमत चालीस हजार से पच्चीस हजार रुपये के बीच है।