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इस दौर में, जब खेती हाइटेक हो चली है, खेती के लिए सीड ड्रिल मशीनों की उपयोगिता बढ़ गई है। इन मशीनों के लिए आपको एक बार ही निवेश करना है और उसके बाद आपका काम तेजी से निकल पड़ता है। भारत में खेती बदल गई है, पहले जो काम हाथ से होते थे, वो अब मशीनों के सहारे हो रहे हैं। यह ठीक है कि हर किसान इतना सक्षम नहीं है, कि वह पूरी खेती आटोमैटिक मशीन से कर सकें। लेकिन जो भी थोड़े ठीक-ठाक किसान हैं, उन्होंने अपनी खेती में मशीन की उपयोगिता को समझा है और उसके अनुरूप ही काम कर रहे हैं।
भारत में खेती के कार्य में अब ड्रिल मशीनों की उपयोगिता लगातार बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में किसान अब ड्रिल मशीनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगे हैं। इन मशीनों के इस्तेमाल से किसानों का वक्त बच रहा है, खेती भी अच्छी हो रही है।
सीड ड्रिल मशीनें दो प्रकार की होती हैं। एक होती है मैनुअल, दूसरी आटोमैटिक, इन मशीनों से आप किसी भी किस्म के बीज को खेत में रोप सकते हैं।
इस मशीन से आप बीज की रोपाई तो कर सकते हैं, पर इसमें थोड़ा वक्त लगता है। बीज डालें, फिर उसे मशीन के माध्यम से जमीन में रोपें, फिर मशीन निकालें। फिर उसमें बीज लगाएं, फिर रोपें तो यह थोड़ा टाइमटेकिंग है। लेकिन, टाइमटेकिंग होने के बावजूद इस किस्म की मशीनों की डिमांड काफी है। क्योंकि इनकी रोपाई बेहतरीन होती है।
सीड ड्रिल की आटोमेटिक मशीन ने किसानों को बड़ा फायदा पहुंचाया है, इसमें एक बार में बीज डाल दिये जाते हैं। एक बार सेटिंग कर दी जाती है, उसके बाद इसे ट्रैक्टर में जोड़कर किसान जहां चाहे वहां बीज को रोप सकता है। आटोमैटिक ड्रील मशीन थोड़ी महंगी होती है, लेकिन इसके बावजूद इसकी मार्केट में डिमांड काफी है।
यूं तो भारत में सीड ड्रिल बनाने वाली कई कंपनियां हैं। मगर उनमें भी कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जो सस्ता, किफायती, मजबूत, भरोसेमंद और आधुनिक सीड ड्रिल मशीने तैयार करती हैं। इनमें से कुछ कंपनियों के प्रोडक्ट के बारे में जानते हैं।
यह भारत की ही कंपनी है, इनकी सीड ड्रिल मशीनों का ज्यादातर इस्तेमाल वो करते हैं, जो धान की खेती करते हैं। इसकी क्षमता 35 एचपी होती है, इसे ट्रैक्टर से जोड़ कर चलाया जाता है। कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इस मशीन की खासियत यह है, कि आप बीज के साथ-साथ यूरिया भी एक ही साथ डाल सकते हैं। मध्यम कद के किसान इस मशीन का पूरा इस्तेमाल करते हैं। खास कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस मशीन का भरपूर इस्तेमाल होता है।
यह कंपनी भी उम्दा ड्रिल मशीन तैयार करती है, यह कंपनी 911 नंबर की ड्रिल मशीन बनाती है। इस मशीन के साथ भी आप बीज और यूरिया एक साथ डाल सकते हैं।
यह विदेश की कंपनी है, अमेरिका के न्यूयार्क में इसका मुख्यालय है। यह कंपनी 6 प्रकार की ड्रिल मशीनें बनाती है। इसमें रोटोसीडर, जीरो टिल ड्रिल, डीलक्स मॉडल, रेगुलर मॉडल, रोटो सीडर हैवी ड्यूटी और जीरो ट्रिल डील रेगुलर मॉडल उपलब्ध है। इन सभी की क्षमता 35 एचपी से लेकर 75 एचपी तक है।
जॉन डियर सीड ड्रिल मशीन हाल के दिनों में भारतीय बाजार में बेहद लोकप्रिय हुआ। कारण है, इसका स्पेसिफिकेशन और ज्यादा दिनों तक चलने की क्षमता। यह कंपनी मात्र दो तरह की सीड ड्रिल बनाती है, पहलाः एसडी 1013 और दूसरा है एसडी 1009, दोनों की क्षमता से बाजार के लोग भली-भांति परिचित हैं।