गूलर के पेड़, फायदे और नुकसान
By : Tractorbird News Published on : 12-Feb-2025
गूलर एक औषधीय पौधा है गूलर गीली मिट्टी का पेड़ है, जो सभी आकार की नदियों के साथ-साथ आर्द्रभूमि के किनारों और ऊपरी इलाकों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।
इसके क्षेत्र के विभिन्न भागों में गूलर के पेड़ कई अतिरिक्त सामान्य नाम से जाने जाते हैं जैसे कि बटनवुड, बटनबॉल ट्री, या लंदन प्लेनेट्री की तुलना में, अमेरिकन प्लेनेट्री।
लंदन प्लेनेट्री हमारे गूलर से बहुत मिलता-जुलता है, और वास्तव में गूलर के साथ एक संकर किस्म है। आज के इस लेख में हम आपको गूलर के पेड़, फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी देंगे।
गूलर के पेड़
- गूलर का वैज्ञानिक नाम प्लैटनस ऑक्सीडेंटलिस हैं। गुलर का पेड़ देखने में बहुत साधारण लगता है, लेकिन आयुर्वेद में इसके फल और छाल बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- यह पेड़ अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है। खासतौर पर इसका उपयोग पेट की बीमारियां, त्वचा की बीमारियां और घावों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
- साथ ही, बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ने और वातावरण को साफ करने के कारण गुलर का पेड़ भी पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा है।
गूलर के पेड़ का उपयोगी भाग
गूलर के पेड़ के कई भागों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जाता हैं इसके उपयोगी भाग निम्नलिखित हैं -
- गूलर के पत्ते
- गूलर के पेड़ की छाल
- गूलर के फल
- गूलर के पेड़ के फूल
- गूलर के पेड़ का तना
- गूलर के पेड़ की जड़
- गूलर के जड़ की छाल
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गूलर के फायदे
गूलर के पेड़ से होने वाले फायदे अनगिनत हैं जो जी निम्नलिखित दिए गए हैं -
गूलर के दूध से बवासीर का इलाज
- गूलर के पेड़ से होने वाले फायदे अनेक हैं जिनमें गूलर के दूध से बवासीर का इलाज सबसे प्रमुख हैं।
- इसके दूध की 10 से 12 बूंदो को पानी में मिलाकर पिने से बवासीर की रोकथाम हो सकती हैं।
- गूलर के पेड़ से निकलने वाले दूध का मस्सों पर लेप करने से आराम मिलता हैं।
मुँह के अल्सर में गूलर के फायदे
- गूलर की छाल से बने 250 ml काढ़े में 3 ग्राम कत्था व् 1 ग्राम फिटकरी मिला कर इसका कुल्ला करने से मुँह के रोगों में आराम मिलता हैं।
- गूलर के पेड़ से शोधकर्ताओं ने गूलर की डायरिया में भूमिका का पता लगाने का प्रयास किया।
- उन्हें पहले डायरिया में इसका इस्तेमाल किया इसके इलाज के लिए पत्तियों का रस लिया गया। इस अध्ययन ने डायरिया को कम किया, जो सकारात्मक था।
रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन का इलाज
- रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन होने पर खांसी, सांस चढ़ना, सांस के साथ सीटी जैसी आवाज आना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
- इन लक्षणों को मैनेज करने में गूलर मदद करता है। इसके उपयोग के लिए किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं।