गन्ने की फसल से बेहतर उत्पादन पाने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें

By : Tractorbird News Published on : 11-Sep-2024
गन्ने

गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है जो किसानों को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्रदान करती है। इससे उत्पादित चीनी, गुड़, और जूस को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जा सकता है। 

गन्ना केवल एक कृषि उत्पाद नहीं है, बल्कि एक समग्र सामाजिक और आर्थिक महत्व की फसल है जो कई क्षेत्रों में योगदान करती है। 

इस लेख में हमे कुछ तरीके बताये है जिनको अपनाकर किसान बेहतर गुणवत्ता की गन्ने की फसल प्राप्त कर सकते हैं और अधिक उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं। 

अच्छी उपज प्राप्त करने के तरीके 

1. गन्ने की फसल को गिरने या झुकने से बचाने के लिए अगस्त के आखिरी सप्ताह या सितंबर की शुरूवात में इसकी एक बंधाई करें। हर कतार के झुंड को उसकी सूखी पत्तियों से बीच में बांधें।

2. जिन खेतों में ढेंचा या सनई की बुवाई की गई हो, उनमें 45 से 60 दिन के अंतराल में पाटा चलाकर और मृदा पलटने वाले हल से खेत की मृदा पलट दें।

3. शानदार परिणाम प्राप्त करने के लिए, यदि ढेंचा या सनई में सुपर फास्फेट न दिया गया हो तो फसल पलटने के बाद 40 से 60 किलोग्राम फास्फेट प्रति हैक्टेयर की दर से दें। 

  • गन्ने की फसल पर 5% यूरिया पानी में घोलकर छिड़कें। छिड़काव के एक दिन के भीतर बारिश होने से यूरिया का प्रभाव कम हो सकता है।

4. बारिश के दौरान खेत में यदि पानी भर जाए तो उसकी निकासी का उचित प्रबंध करें। 

  • गन्ने के खेत में बेले जैसे खरपतवार गन्ने के पौधों को लपेटकर ऊपर चढ़ सकते हैं, जिससे गन्ने की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन बेलों को हटा कर खेत से दूर फेंक दें।

5. गन्ने की अच्छी किस्म का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्वी भारत में मध्य सितंबर से गन्ने की बुवाई शुरू होती है, इसलिए किसान को अभी से पौधशालाओं में गन्ने की विभिन्न जातियों का चयन कर बीज का गन्ना प्राप्त करने की तैयारी करनी चाहिए।

6. फसल की नियमित निगरानी रखना आवश्यक है। यदि फसल में कोई रोग या कीट संक्रमण दिखाई दे तो त्वरित उपाय करें। 

  • सितंबर में गन्ने की फसल में अंकुरबोधक, गुरूदासपुर बेधक, चोटीबेधक, काला चिकटा, सफेद कीट और पायरिला के संक्रमण की संभावना रहती है। ऐसे में फसल का निरीक्षण कर तत्काल उपाय करना चाहिए।

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