क्या हैं गुडमार? जानिए इसकी औषधीय खेती के बारे में

By : Tractorbird News Published on : 27-Oct-2024
क्या

हमारे देश में पाये जाने वाले कई बहुमूल्य औषधीय पौधों में से एक है गुड़मार। यह एस्क लपिडेसी कुल में शामिल है। वानस्पतिक रूप से इसका नाम जिमनिमा सिलवेस् ट्री है। 

गुड़मार के जड़ों और पत्तों को औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है। यह एक बहुवर्षीय पौधों है, इसकी शाखाओं पर छोटे-छोटे रोयें होते हैं। 

अगस्त से सितंबर तक इस पर पीले गुच्छेनुमा फूल खिलते हैं। गुड़मार के फल कठोर होते हैं और लगभग 2 इंच लम्बे होते हैं। 

इसमें छोटे, काले-भूरे बीज हैं और इसमें रूई लगी है। इस लेख में हम आपको इसके उत्पादन से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

गुडमार के उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

गुडमार का उत्पादन देश के लिए गर्म और नाम जलवायु की आवश्यकता होती है। इसका उत्पादन मध्य भारत, पश्चिमी घाट, कोकण और त्रिवणकोर के वनों में होता हैं। 

मिट्टी 

  • गुडमार की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। 
  • इसकी रोपाई करने के लिए खेत को अचे से दो से तीन बार जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए जिससे की अच्छे से उत्पादम हो सके। 
  • रोपाई के लिए मिट्टीभुरभुरी और समतल होनी बहुत आवश्यक है। 

रोपण के लिए बीज 

  • रोपण के लिए पहले पौधे तैयार किए जाते है। बीजों की खेती के लिए पौधों को रोपणी में तैयार करना चाहिए। 
  • बीजों को बीज बोने से पहले 3 ग्राम डायथेन एम 4.5 या बोवेस् टीन नामक फफूँदनाशक से उपचारित करना चाहिए। 
  • उपचारित बीज पहले से भरी हुई पॉलीथीन थैलियों में बो देना चाहिए। अप्रैल से मई तक बीजों को बोने और रोपणी करने का सही समय है। पौधे जुलाई से अगस्त तक खेत में रोपित किए जा सकते हैं।
  • गुड़मार की खेती पुराने पौधों की कलम से की जा सकती है, और इसके लिए जनवरी-फरवरी का समय सर्वोत्तम होता है। 
  • पौधों को पॉलिथीन बैग में तैयार कर जुलाई-अगस्त में खेत में रोपित किया जा सकता है। गुड़मार एक बहुवर्षीय बेल है जो लगभग 20-30 वर्षों तक उपज देती है।

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रोपण 

  • पौधों को 1x1 मीटर की दूरी पर बनाए गए गड्ढों में जुलाई-अगस्त में बारिश के समय रोपा जा सकता है। 
  • प्रति गड्ढा 5 किलोग्राम गोबर की खाद और 50 ग्राम नीम की खली डालनी चाहिए। प्रति हेक्टेयर 10,000 पौधे लगाए जाते हैं।

आरोहण व्यवस्था

चूंकि गुड़मार एक लता है, आरोहण के लिए बांस, लोहे के एंगल और तारों का उपयोग करना चाहिए।

सिंचाई

गर्मियों में 10-15 दिन और सर्दियों में 20-25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए ताकि पौधे बेहतर वृद्धि कर सकें।

फसल सुरक्षा

अधिक बारिश के कारण पौधों में पीलेपन की समस्या हो सकती है। इसे रोकने के लिए बोने के समय 10 किलोग्राम फेरस सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए।

फसल की तुड़ाई

  • गुड़मार मुख्य रूप से इसकी पत्तियों के लिए उगाई जाती है। रोपण के पहले वर्ष से ही पत्तियाँ मिलने लगती हैं, और समय के साथ बेलें बढ़ती रहती हैं। 
  • यह फसल 25-30 वर्षों तक उपज देती है। सिंचित अवस्था में पत्तियों की तुड़ाई साल में दो बार की जा सकती है: पहली बार सितंबर-अक्टूबर में और दूसरी अप्रैल-मई में। परिपक्व और चयनित पत्तियों को तोड़कर छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए। 
  • ग्रीष्म ऋतु में पौधों की परिपक्व फल्लियाँ एकत्र कर सुखाई जाती हैं। 
  • फल्लियाँ एकत्र करते समय ध्यान रखें कि वे चटकें नहीं, वरना बीज उड़ सकते हैं क्योंकि उनमें रूई लगी होती है। 
  • प्रति वर्ष तीसरे वर्ष से प्रत्येक पौधे से लगभग 5 किलोग्राम गीली पत्तियाँ या 1 किलोग्राम सूखी पत्तियाँ प्राप्त होती हैं। एक हेक्टेयर में लगभग 4-6 क्विंटल सूखी पत्तियाँ प्राप्त होती हैं।

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