गेंदा फूल की खेती कैसे की जाती है? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 20-Feb-2024
गेंदा

गेंदा एक विशिष्ट और लोकप्रिय फूल है, जो पूरे वर्ष आसानी से मिल सकता है। दशहरा और दीपावली के दौरान इसके फूलों की उपलब्धता से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। 

यह बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यह हर तरह की आबोहवा, मिट्टी और परिस्थितियों में आसानी से उगता है, लंबे समय तक फूलता है, कई तरह से काम में आता है और आसानी से बीज बनाता है। 

फूलों से जैविक रंग भी बनाए जाते हैं, जो खाने और कपड़ों को रंगते हैं। इस लेख में हम आपको इसकी खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

गेंदा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी 

गेंदा को कई तरह की भूमि में लगाया जा सकता है लेकिन इसके लिए अगर गहरी, उपजाऊ और भुरभुरी भूमि होगी तो इस फूल की और भी अच्छी पैदावार होगी। भूमि का pH मान 7 से 7.5 के बीच होना चाहिए। 

गेंदा की प्रमुख किस्में 

गेंदा मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं उसी आधार पर अलग-अलग प्रजातियाँ होती हैं।

1. अफ्रीकन गेंदा या हज़ारिया गेंदा:

  • इसके पौधे अधिक ऊँचे (औसतन 75 से.मी.) व विभिन्न रंगों जैसे पीले, नारंगी, पीले रंगों में बहुत ही आकर्षक व व्यावसायिक महत्व वाले होते हैं, लेकिन हाईब्रिड किस्मों की ऊँचाई 30 से.मी. से लेकर 3 मीटर तक होती है। 
  • जाइंट डबल अफ्रीकन नारंगी, जाइंट डबल अफ्रीकन पीली, क्रेकर जैक, गोल्डन एज, क्राउन ऑफ गोल्ड, क्राइसें थियम चार्म, गोल्डन एज, गोल्डन येलो, स्पून गोल्ड, पूसा नारंगी, पूसा बसंती, आरेन्ज जुबली आदि ।
  • फ्रेंच गेंदा या जाफरी गेंदा : इसके पौधे अधिकतम बौने व छोटे और पुष्प पीले, नारंगी सुनहरी लाल एवं मिले-जुले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियाँ गहरी हरी एवं तना लाल होता है।

2. फ्रेंच गेंदा 

इसके पौधे अधिक ऊँचे (औसतन 75 से.मी.) व विभिन्न रंगों जैसे पीले, नारंगी, पीले रंगों में बहुत ही आकर्षक व व्यावसायिक महत्व वाले होते हैं, लेकिन हाईब्रिड किस्मों की ऊँचाई 30 से.मी. से लेकर 3 मीटर तक होती है। 

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गेंदा की बुवाई के लिए पौध की तैयारी 

गेंदा की खेती दो आम प्रजनन तरीकों से की जाती है: 

  • बीज द्वारा 
  • कटिंग द्वारा

बीज द्वारा उगाई जाने वाली फसल में पौधे अधिक ऊँचे होते हैं और अधिक पुष्प देते हैं, लेकिन कटिंग को प्रजाति को साफ रखने के लिए ही अधिकांश लोग उपयोग करते हैं।

बोने की अवधि, प्रक्रिया और बीज की मात्रा

  • बरसात की फसल के बीज को मध्य जून से जुलाई आंरभ तक बोना चाहिये; सर्दियों की फसल के लिये अगस्त अंत से मध्य सितंबर तक बोना चाहिये; और गर्मी के लिये दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के पहले हफ्ते तक बोना चाहिये।
  • नर्सरी की क्यारियों को अच्छी तरह गुड़ाएं, फिर 10 किलो पकी गोबर की खाद को अच्छी तरह मिलाएं। क्यारियों का आकार 331 मीटर होना चाहिए ताकि पानी का काम आसानी से किया जा सके। 
  • बीज को लाइन में 5 सेमी की गहराई पर बोयें और कतार से कतार की 5 सेमी की दूरी रखें। बीज बोने के बाद इसे सूखी घास से ढंके, मिट्टी से ढंकें और फिर सिंचाई करें। 

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन 

भूमि की अंतिम जुताई के समय, 250 क्विंटल गोबर की खाद, 60 किलो नत्रजन, 75 किलो स्फुर और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर मिलाएं। 

नत्रजन को दो भागों में विभाजित करें और पौधों के आसपास कतारों में आधी मात्रा 20 से 25 दिन बाद और आधी मात्रा 45 दिन बाद डालें।

पौधे लगाने के लिए सही समय

नर्सरी में बीज बोने के बाद पौधे मुख्य खेत में रोपण के लिए करीब 4 सप्ताह या 25–30 दिन में तैयार हो जाते हैं। उन्हें सांयकाल रोपण करें और नर्सरी में पौधों को उखाड़ने से पहले हल्की सिंचाई करें ताकि पौधों की जड़ों को उखाड़ते समय चोट न लगे।

गेंदे की फसल में सिंचाई प्रबंधन 

गेंदे की फसल को अपेक्षाकृत पानी की कम आवश्यकता होती है। सामान्यत: 10-15 दिन के अंतर पर सिंचाई करें।

फूलों की तुड़ाई और उपज 

गेंदे में 3-4 महीने बाद फूल आने लगते हैं जिन्हें खिलने पर नीचे से डंठल के साथ तोड़कर बाजार में बेचा जाता है। अधिकतम उपज लगभग 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो सकती है।

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