अरहर की खेती का महत्व क्या है, और क्या होती है अरहर FIR विधि ?

By : Tractorbird News Published on : 09-Sep-2024
अरहर

अरहर एक प्रमुख दलहनी फसल है जो हमारे देश में मुख्य रूप से खरीफ मौसम में उगाई जाती है। 

दालों के उत्पादन के साथ-साथ यह फसल नाइट्रोजन को मिट्टी में जमा करती रहती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। 


अरहर की बुवाई शुष्क क्षेत्रों में अधिक होती है। यह सूखे क्षेत्रों में सबसे अच्छी फसल है, क्योंकि इसकी गहरी जड़ और उच्च तापमान की वजह से पत्तियों को मोड़ने की क्षमता के कारण यह असिंचित क्षेत्रों में खेती की जा सकती है। यह फसल सूखा पड़ने पर भी अच्छी उपज देती है।


अरहर की दाल में 20–21 प्रतिशत प्रोटीन होता है। यही कारण है कि दलों की मांग बाजार में निरंतर रहती है। 


ऐसे में अगर आप भी अरहर की खेती कर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो FIR विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। 


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अरहर की फसल में क्या होती है FIR विधि ?

  • कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल से अच्छे उत्पादन और उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए किसानों को बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना चाहिए। 
  • FIR विधि इस काम के लिए एक सरल और किफायती तरीका है, जिसे बीज टीकाकरण भी कहते हैं। 
  • इस विधि के माध्यम से, जब पौधे खेतों में लगाए जाते हैं, तो कीटों और बीमारियों का हमला न्यूनतम होता है। 
  • अरहर के बीज को FIR विधि से उपचारित किया जा सकता है। इस विधि में, पहले बीजों को फफूंदनाशक से इलाज किया जाता है, फिर कीटनाशक से उपचारित किया जाता है और अंत में (बुवाई के दिन) राइजोबियम कल्चर से बीजों का उपचार किया जाता है। 
  • इस प्रक्रिया का प्रभाव फसल के उत्पादन और गुणवत्ता पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

अरहर बुवाई का आसान तरीका क्या है?

  • बारिश शुरू होते ही अरहर की बुवाई करनी चाहिए। जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक बुवाई करनी चाहिए। 
  • 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए बोना चाहिए, जबकि मध्यम पकने वाली किस्मों के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बोना चाहिए। 
  • तेजी से पकने वाली किस्मों में 30 से 45 सेमी की दूरी होनी चाहिए, जबकि मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों में 60 से 75 सेमी की दूरी होनी चाहिए। 
  • कम अवधि वाली किस्मों में पौधों के बीच 10 से 15 सेमी की दूरी होनी चाहिए, जबकि मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों में 20 से 25 सेमी की दूरी होनी चाहिए।

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