किसान भाइयों विपरीत वातावरण, कम वर्षा और कम उर्वरक के कारण बाजार अच्छा उत्पादन दे सकता है। गरीबो का मुख्य श्रोत बाजार है, जो उर्जा, प्रोट्रीन विटामिन और मिनरल का स्रोत है।
बाजरा को शुष्क और अर्द्धषुष्क क्षेत्रों में मुख्य रूप से उगाया जाता है क्योंकि यह दाने और चारे का मुख्य श्रोत है। इस फसल को लगभग हर तरह की जमीन पर उगाया जा सकता है और कम अवधि (मुख्यतः 2 से 3 माह) की है।
बाजार उत्पादन और क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण फसल है। जहां वर्ष में 500-600 मिमी वर्षा होती है, जो कि देश के शुष्क पष्चिम एवं उत्तरी क्षेत्रो के लिए उपयुक्त रहता है।
इसकी अधिक उपज पाने के लिए किस्मों का अहम् योगदान रहता है जिससे की किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है।
आज के इस लेख में हम आपको बाजरे की ऐसी किस्मों के बारे में जानकारी देंगे जिनकी खेती से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हो।
बाजरा की यह किस्म सबसे जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। साथ ही यह बाजरा की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म भी है।
इस किस्म की कई खासियतें है बाजरे की यह किस्म 62 से 65 दिनों में पकती है। बाजरा के इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 160 से 180 सेंटीमीटर होती है।
अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म से दाना और पशुओं के चारे दोनों का उत्पादन ज्यादा होता है। बाजरे की इस उन्नत किस्म से 22 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।
बाजरे की इस किस्म को राजस्थान के किसान बहुत पसंद करते हैं। ये किस्म कई प्रकार के रोगों से प्रतिराेधी है और दूसरी किस्मों की तुलना में अधिक उपज देती है।
किस्म के पौधों की ऊंचाई 165 से 175 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म का बाजरा 75 से 78 दिनों में पक क्र तैयार हो जाता है।
इस किस्म में औसत दानों की उपज 22 से 25 क्विंटल वहीं चारे की उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
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इस किस्म से बाजरे की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। मध्यप्रदेश के लिए ये किस्म बढ़िया मानी जाती है। 85 दिनों में यह किस्म पक जाती है।
पौधों की ऊंचाई की बात करें तो 170 से 200 सेंटीमीटर इसकी ऊंचाई होती है। यही वजह है कि इस किस्म से सूखे चारे की पैदावार काफी अच्छी हो जाती है।
पैदावार की बात करें तो अनाज 20 से 25 क्विंटल और चारे की पैदावार 45 से 48 क्विंटल तक हो जाती है।
बाजरे की इस किस्म को राजस्थान के किसान बहुत पसंद करते हैं। ये किस्म कई प्रकार के रोगों से प्रतिराेधी है और दूसरी किस्मों की तुलना में अधिक उपज देती है।
किस्म के पौधों की ऊंचाई 125 से 150 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म का बाजरा 75से 80 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है।
इस किस्म में औसत दानों की उपज 15 - 20से क्विंटल वहीं चारे की उपज 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
इस किस्म का बाजरा 85 से 90 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाता है। पूसा-23 बाजरे में जोगिया रोग कम देखने को मिलता है।
मुख्य रूप से जोगिया रोग से प्रभावित वाले क्षेत्रों में इस किस्म का उपयोग करना उचित माना जाता है, क्योंकि जोगिया रोग MH-23 यानि पुसा 23 बाजरा बीज में नहीं लगता है।
मुख्य रूप से खाने और पशु चारे - दोनों रूप में खेती कर सकते है। कम पानी की आवश्यकता होती है, यानि बरसात पर आधारित वैराइटी है।