धनिया की खेती हरी पत्तियों के प्रयोग हेतु लगभग पूरे वर्ष में की जाती है लेकिन बीज प्राप्त करने हेतु इसकी खेती रबी की फसल के साथ में करते हैं इसके लिए स्प्रिंग सीजन अच्छा रहता हैI धनिया की खेती हेतु दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है अच्छे जीवांशयुक्त भारी भूमि में भी उगाई जा सकती है लेकिन जल निकास होना अति आवश्यक है।
धनियां में प्रजातियां जैसे की पूसा सेलेक्शन360, आर.सी.1, यू.डी.20 , यू.डी.21, पंत हरितमा, साधना, स्वाती, डी.एच.5, सी.जी.1, सी.जी.2, सिंधु , सी.ओ.1 , सी.ओ.2 एवं सी.ओ.3, सी.एस.287, आर. डी.44 एवं आजाद धनियां1 तथा आर.सी.आर.20, 41, 435, 436 एवं 446 आदि है।
खेत की तैयारी के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में तीन से चार जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करते हैं खेत को समतल करके पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिएI आख़री जुताई में 100 से 120 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद को मिला देना चाहिएI
बीज की मात्रा बुवाई एवं सिंचाई की दशा पर निर्भर करती हैI सिंचित दशा में बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा असिंचित दशा में 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पड़ता हैI बीज को 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम बेविस्टीन से प्रति किलोग्राम के हिसाब से बुवाई करने से पहले शोधित कर लेना चाहिएI बीज को बोने से पहले 12 घंटे पानी में भिगोकर बुवाई करनी चाहिएI
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मैदानी क्षेत्रो में अक्टूबर से नवम्बर में बुवाई की जाती हैI विधि में बुवाई लाइन से लाइन की दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखते हुए 3 से 5 सेंटीमीटर गहराई पर बुवाई करनी चाहिएI
खेत की तैयारी करते समय 100 से १२० क्विंटल गोबर की सड़ी खाद आख़िरी जुताई में मिला देना चाहिएI इसके साथ ही 60 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप प्रति हेक्टेयर देना चाहिएI नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी करते समय आख़िरी जुताई में बेसल ड्रेसिंग में देना चाहिएI नत्रजन की शेष मात्रा का 1/2 भाग 25 दिन बाद बुवाई के तथा 1/2 भाग 40 दिन बाद बुवाई के बाद देना चाहिएI
पूरी फसल में 4 - 5 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती हैI पहली सिंचाई बुवाई के 30 से 35 दिन बाद करनी चाहिएI दूसरी 60 से 70 दिन, तीसरी 80 से 90 दिन, चौथी 100 से 105 दिन एवं पांचवी 120 दिन बाद करनी चाहिएI
पहली सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए दूसरी पहली के 30 दिन बाद करना चाहिएI खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के तुरंत बाद एक दो दिन के अंदर 3.3 लीटर पेंडीमेथालीन को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिएI
धनिया में पाउडरी मिल्ड्यू, उकठा या विल्ट तथा तना पिटका रोग लगते हैं I इनको रोकने के लिए 0.3 प्रतिशत जल ग्राही सल्फर अथवा 0.06 प्रतिशत कैराथीन के घोल का छिड़काव करना चाहिए तथा अवरोधी प्रजातियों का प्रयोग करना चाहिए इसके साथ ही फसल चक्र भी अपनाना चाहिएI
धनिया में माहू या एफिड तथा पत्ती खाने वाले कीट लगते हैं इनको नियंत्रण करने हेतु 0.2 प्रतिशत कार्बेरिल घोल का छिड़काव करना चाहिए जिससे इन कीटो का असर न हो सकेI
हरी पत्तियों को बड़ी सावधानी से तुड़ाई करनी चाहिए जिससे कि तना सुरक्षित रहे इस तरह दो बार पत्तियां तोड़नी चाहिए लेकिन कभी-कभी पूरा पौधा भी हरी पत्तियों के प्रयोग में लाते हैं बीज प्राप्त करने हेतु जब पौधे पर बीज पककर सूख जाएँ तभी कटाई की जाती है और एक दो दिन खेत में डालकर सुखाने के बाद बीज की पिटाई करके अलग कर लिया जाता हैI
हरी पत्तियों की उपज 125 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है तथा 10 से 12 क्विंटल सूखी धनिया के बीज प्राप्त होते हैंI