जानें खीरे की खेती में लगने वाले रोग और कीटों के बारे में ?

By : Tractorbird News Published on : 09-Apr-2024
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वैसे तो खीरे की खेती सामान्य तौर पर कहीं भी की जा सकती है, लेकिन खीरे का सबसे बड़ा उत्पादन राज्य महाराष्ट्र को माना जाता है। 

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में खीरे की सबसे ज्यादा खेती की जाती है। खीरे की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमो में की जा सकती है। 

खीरे की खेती के लिए रेतीली दोमट और भारी मिट्टी की आवश्यकता रहती है। साथ ही इसके लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि का होना भी आवश्यक है। 

खीरे की कुछ उन्नत किस्में इस प्रकार है जैसे : पूसा बरखा, पूसा उदय, कल्यानपुर हरा खीरा, पीसीयूएच- 1, पूसा संयोग और खीरा 90। इन क़िस्मों का उत्पादन कर किसान ज्यादा मात्रा में मुनाफा कमा सकता है। 

खीरे की खेती में भी रोग और कीटों का प्रकोप कायम रहता है। आइये जानते है खीरे की खेती में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में

खीरे की खेती में लगने वाले कीट (cucumber diseases)

1 ककड़ी बीटल

यह कीट पौधो को धब्बेदार बनाता है साथ ही व्यस्क और छोटे पौधो को खा जाते है। 

2 स्पाइडर माइट

इस कीट का सबसे ज्यादा लक्षण पत्तियों पर देखने को मिलता है। पत्तियां नीचे की तरफ झुकी हुई एवं मुरझाई हुई होती है। पत्तियों का रंग पीला और भूरा पड़ने लगता है साथ ही पत्तियों पर लाल रंग के धब्बे देखने को मिलते है। 

3 स्क्वैश वाइन बोरर 

इस कीट के प्रकोप से खीरे का पौधा धीरे धीरे मुरझाने लग जाता है। 

4 पिकल वर्म 

इस कीट के प्रकोप से पत्तियां खराब होने लगती है। यह कीट पत्तियों को खाते है और उस पर अजीब प्रकार का चिपचिपा पदार्थ छोड़ते है जो फफूंद का काम करता है। 

5 पर्ण फुदका 

इस कीट के प्रकोप से पत्तियों के ऊपरी सतह पर सफ़ेद धब्बे बन जाते है। 

ये भी पढ़ें : सरसों की खेती में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

खीरे की खेती में लगने वाले रोग 

1 पाउडरी मिल्ड्यू

माना जाता है यह रोग कवक के कारण होता है। इस रोग का प्रकोप ज्यादातर पत्तियों और तनों पर एक सफ़ेद पाउडर के रूप में देखने को मिलता है। इस रोग से फल की गुणवत्ता और स्वाद दोनों ही खराब हो जाते है। 

2 डाउनी मिल्ड्यू

इस रोग का ज्यादातर प्रकोप पौधे की ऊपरी सतह पर देखने को मिलता है। इस रोग के कारण पौधे में पीले और नारंगी रंग के धब्बे पड़ना शुरू हो जाते है। जैसे जैसे धब्बे बड़े होते जाते हैं उनका रंग भी भूरे रंग का पड़ने लग जाता है। इस रोग से फल का स्वाद कम मीठा हो जाता है। 

3 कोणीय पर्णदाग

इस रोग के लक्षण पत्तियों पर ज्यादातर देखने को मिलते है साथ ही यह तने को भी प्रभावित करता है। शुरुआत में पत्तियों पर छोटे भूरे रंग के धब्बे देखने को मिलते है। यह रोग ज्यादातर खेत में ज्यादा नमी होने पर फैलता है। 

4 एन्थ्रेक्नोज

यह रोग ज्यादातर गीली और गर्म स्तिथी में सबसे ज्यादा फैलता है। इस रोग का लक्षण पत्तियों और फल पर ज्यादातर दिखता है। रोग के कारण फल और पत्तियों दोनों पर ही धब्बे पड़ने लग जाते है। साथ ही नमी के मौसम में इन धब्बों पर गोंद की तरह का पदार्थ देखने को मिलता है। 

5 झुलसा रोग 

इस रोग का प्रकोप ज्यादातर पौधे के ऊपरी और मध्य सतह पर देखने को मिलता है। पत्तियों पर छोटे केंद्र वाले पीले रंग के धब्बे पड़ने लग जाते है। बाद में यह छेद बड़े हो जाते है और पत्तियां जाली के जैसे दिखने लग जाती है। 

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