जीरे की खेती ज्यादातर राजस्थान और गुजरात में बड़े पैमाने पर की जाती है ,लेकिन जीरे का उत्पादन अब उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जीरे का मसालों में अपना एक अहम् योगदान है। जीरा जितना सब्जियों में स्वाद को बेहतर बनाता हैं ,इतने ही जीरे में औषिधीय गुण पाए जाते है।
जीरे की खेती मध्य नवंबर में की जाती हैं ,जीरे की खेती के लिए खेत में कल्टीवेटर से पंक्तियाँ या मेड बनाई जाती हैं। इन पंक्तियों में 30 सेमी के अंतराल पर जीरे की फसल की बुवाई की जाती है। जीरे के बीज को खेत में 1.5 सेमी की गहराई में बोया जाता है।
जीरे की खेती के उत्पदान के लिए चिकनी,दोमट और काली मिट्टी को बेहतर माना जाता है। जीरे की खेती ज्यादातर राजस्थान और मध्य प्रदेश में की जाती है, लेकिन जीरे की खेती अब उत्तर प्रदेश में भी बड़े स्तर पर की जाती हैं। जीरे की खेती से किसान भारी मुनाफा कमा सकते है।
जीरे की फसल के उत्पादन के लिए खेत में बुवाई से कुछ समय पहले गोबर की खाद को खेत में मिलाना चाहिए। खाद को अच्छे से मिलाने के बाद, खेत की अच्छे से जुताई करे ताकि खाद खेत में अच्छे से मिल जाये।
बुवाई से पहले और आखिरी जुताई पर किसानो द्वारा खेत में फोस्फोरस और पोटाश को अच्छे से मिला दे ताकि जीरे की फसल का अधिक उत्पादन किया जा सके।
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जीरे की खेती में बुवाई के तुरंत बाद एक हल्की सी सिंचाई कर देनी चाहिए। उसके बाद फसल की सिंचाई 8-9 दिन बाद हल्की सिंचाई करें जिससे जीरे के बीज का अच्छे से फुटाव हो सके। इसके बाद खेत में फिर 8-10 दिन बाद सिंचाई करें। इस सिंचाई के बाद फसल में 20 दिन बाद पानी दिया जाना चाहिए। ध्यान रखे फसल के पकने पर खेत में सिंचाई न करें।
जीरे की फसल के उत्पादन के लिए न ज्यादा ठण्ड की जरुरत पड़ती हैं और न ही गर्मी की। जीरे की फसल इसी वजह से नवंबर माह में की जाती हैं ताकि गर्मी आने से पहले फसल पक कर तैयार हो जाये। जीरे की फसल को पकने के लिए 25-30 डिग्री टेम्परेचर की आवश्यकता रहती है।
जिस खेत में जीरे की खेती की जा रही हैं ,उस खेत में बार बार जीरा नहीं बोना चाहिए क्यूंकि ऐसा करने से खेत में उकठा जैसे रोग का अधिक प्रकोप होता है।
इसीलिए किसानो द्वारा समय समय पर उसी खेत में अनाज ,मूँग और बाजरा जैसी खेती की जा सकती है। ऐसा करने से खेत की उत्पादन क्षमता भी बढ़ती हैं ,साथ ही किसानो को भी मुनाफा हो सकता हैं।
जीरे की फसल ज्यादातर 90-120 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती हैं। जीरे की फसल का पकना जीरे की किस्म ,उसकी सिंचाई और बुवाई पर निर्भर करता हैं। जीरे की फसल हल्की सुनहरी रंग की दिखाई पड़ने लगती हैं तो इसका मतलब फसल पक कर तैयार हो गयी है।
जीरे की कटाई के बाद कुछ दिन तक फसल को धूप में सूखने दे ,उसके बाद फसल को थ्रेसर द्वारा निकलवाकर बीज को कुछ दिन तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाये।