कैर की खेती कैसे की जाती है ?

By : Tractorbird News Published on : 24-Nov-2024
कैर

कैर (कैपेरिस डेसीडुआ) एक बहुउद्देशीय, बारहमासी झाड़ी या छोटा पेड़ है, जो गर्म और शुष्क क्षेत्रों में उगता है। 

राजस्थान में इसे "कैर" या "केर" और हरियाणा में "टींट" या "डेला" कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे "कैपर बेरी" के नाम से जाना जाता है। 

यह शुष्क पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और मिट्टी को बनाए रखने में सहायक है। 

इसके कच्चे फल पोषण से भरपूर होते हैं, जिनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

जलवायु

  • कैर का पौधा सूखा सहनशील है और गर्म, कठोर जलवायु में फलता-फूलता है। इसकी गहरी जड़ें, कम पत्ते और मजबूत कांटे इसे शुष्कता सहने योग्य बनाते हैं। 
  • यह 150 मिमी से भी कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जीवित रह सकता है। गर्मियों में जब तापमान 50°C तक बढ़ जाता है, तब भी यह पौधा स्वस्थ रहता है।

मिट्टी

  • कैर विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उग सकता है, चाहे वह कम उपजाऊ हो या क्षारीय। 
  • रेतीली और पथरीली मिट्टी जिसमें पीएच मान 6.5 से 8.5 के बीच हो, इसमें भी इसकी खेती संभव है।

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पौधों की तैयारी और बुवाई

  • कैर का प्राकृतिक पुनर्जनन बीजों और जड़ों से होता है। बीज मई-जून में पक्षियों द्वारा फैलाए जाते हैं, जो वर्षा के बाद अंकुरित हो जाते हैं। 
  • 2 × 2 × 2 फीट आकार के गड्ढे 4-5 मीटर की दूरी पर गर्मियों में खोदें और धूप में सुखाने के बाद उनमें गोबर खाद मिलाएं। 
  • जुलाई-अगस्त में रोपाई करें और पहले साल सिंचाई का ध्यान रखें। तीसरे वर्ष से पौधे बिना सिंचाई के जीवित रह सकते हैं।

फल आने का समय

बीज से उगाए गए पौधे 6-7 साल में फल देने लगते हैं, जबकि प्रचारित पौधे चार साल में फल देना शुरू कर सकते हैं। फूल मुख्यतः फरवरी-मार्च में आते हैं और फल मार्च-अप्रैल में पकते हैं।

फल की तुड़ाई

  • फलों की तुड़ाई मार्च-अप्रैल में अपरिपक्व अवस्था में की जाती है। मई-जून तक पकने वाले फलों से बीज निकाले जाते हैं। 
  • हरे और नरम फलों को अचार, सब्जी या सुखाने के लिए उपयोग किया जाता है। सीज़न के अंत में फल कठोर हो सकते हैं, इसलिए समय पर तुड़ाई जरूरी है।

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