अखरोट की खेती कैसे की जाती है ?

By : Tractorbird News Published on : 03-Feb-2025
अखरोट

अखरोट (Juglans regia L.) उत्तरी गोलार्ध के शीतोष्ण क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण कड़े छिलके वाली फल फसल है। हिमालयी क्षेत्र में इसके वाणिज्यिक उत्पादन के लिए विशाल संभावनाएँ हैं। 

भारत में अखरोट की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल 1,09,000 हेक्टेयर है और उत्पादन 3,00,000 मीट्रिक टन है। जम्मू और कश्मीर राज्य भारत में क्षेत्रफल (85,620 हेक्टेयर) और उत्पादन (2,75,450 मीट्रिक टन) दोनों में अग्रणी है। 

एक बार अखरोट का पेड़ लगाने के बाद वह कई सालों तक फल देता है, इसलिए यह एक दीर्घकालिक निवेश है। एक सुंदर पेड़ से 70-80 साल तक अखरोट मिल सकते हैं। 

इसके अतिरिक्त, यह प्रति हेक्टेयर 2-3 टन तक उत्पादन कर सकता है, जो इसे बहुत लाभदायक बनाता है। इस लेख में हम आपको अखरोट की खेती के बारे में जानकारी देंगे।

अखरोट की उन्नत किस्में

भारत में अखरोट की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:

1. चंडलर अखरोट: यह किस्म अमेरिका में उगाई जाती है और अब भारत में भी बहुत लोकप्रिय हो रही है। इसकी गुणवत्ता और पैदावार क्षमता इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती है।

2. कश्मीर अखरोट: यह किस्म जम्मू-कश्मीर में उगाई जाती है, जो अपने बड़े आकार और बेहतरीन स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसकी शेल पतली होती है, जिससे गूदा आसानी से बाहर निकलता है।

3. हर्टले अखरोट: यह किस्म मध्यम से बड़े आकार के अखरोटों का उत्पादन करती है, जिनकी गिरी बहुत अच्छी गुणवत्ता की होती है। इसकी उपज भी अच्छी होती है।

4. फ्रेंको अखरोट: यह किस्म विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उगाई जाती है, जहां मिट्टी उपजाऊ होती है।

अखरोट की खेती की विधि

1. भूमि की तैयारी:

  • अखरोट की खेती के लिए सबसे पहले उचित भूमि का चयन करना आवश्यक है। अखरोट के पेड़ को दोमट मिट्टी में अच्छे परिणाम मिलते हैं। 
  • मिट्टी का pH मान लगभग 6-7 होना चाहिए ताकि पौधों को सही पोषक तत्व मिल सकें। भूमि की जुताई और समतल करने के बाद ही पौधारोपण किया जाता है।

2. पौधारोपण:

  • अखरोट की खेती में मुख्य रूप से बीज और कलम विधि का उपयोग किया जाता है। 
  • पौधारोपण के लिए सबसे उपयुक्त समय दिसंबर से फरवरी तक होता है। पौधों को 8-10 मीटर की दूरी पर रोपित किया जाता है ताकि उन्हें पर्याप्त स्थान और सूर्य की रोशनी मिल सके।

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3. सिंचाई व्यवस्था:

  • अखरोट के पेड़ को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन शुरुआत में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। 
  • ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करना बेहतर होता है क्योंकि इससे पानी की बर्बादी नहीं होती और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है।

4. उर्वरक और पोषण प्रबंधन:

  • अखरोट के पेड़ को अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए सही मात्रा में उर्वरक और पोषक तत्व देना जरूरी है। 
  • पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जैविक खाद का उपयोग भी फायदेमंद होता है।

5. कीट और रोग नियंत्रण:

अखरोट की खेती में कीट और रोगों से बचाव करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। अखरोट के पेड़ पर लगने वाले कुछ सामान्य रोग निम्नलिखित हैं:

 - ब्लाइट: यह एक बैक्टीरियल रोग है जो पौधों की पत्तियों और फलों को प्रभावित करता है।

 - नट बोअर: यह कीट अखरोट के फलों को नुकसान पहुँचाता है।

इन समस्याओं से बचने के लिए समय-समय पर कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

अखरोट की कटाई और प्रसंस्करण 

  • अखरोट के फल पूरी तरह से पकने के बाद ही काटे जाते हैं। कटाई के लिए सितंबर से अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है। 
  • कटाई के बाद, अखरोट के फलों को धूप में सुखाया जाता है ताकि उनका बाहरी खोल आसानी से हटाया जा सके। फिर इन्हें छांटकर और साफ करके बाजार में भेजा जाता है।

अखरोट की पैकेजिंग और भंडारण

  • अखरोट की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उसे सही तरीके से पैकेजिंग और भंडारण करना बहुत जरूरी है। 
  • अखरोट को सूखे, ठंडे और साफ स्थान पर स्टोर किया जाना चाहिए। इसके लिए एयरटाइट कंटेनरों का उपयोग सबसे उपयुक्त होता है। 
  • इसके अलावा, फंगस और कीटों से बचाव के लिए भी सावधानी बरतनी चाहिए।

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