चाउ चाउ की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 25-Dec-2024
चाउ

कृषकों आपने कभी ना कभी चाउ-चाउ की सब्जी का नाम तो सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो आज हम आपको चाउ चाउ की खेती के बारे में जानकारी देंगे। 

दरअसल, चाउ चाउ एक एकल बीज वाली विविपेरस ककड़ी होती है। यह उत्तर पूर्वी क्षेत्र के आदिवासी समुदायों की आहार प्रणाली में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। 

यह एक बारहमासी जड़ वाली बेल है, जो खाने योग्य फल प्रदान करती है। फल के अलावा तना, कोमल पत्ते और कंद मूल भी खाए जाते हैं। 

जड़, तना और बीज में उच्च कैलोरी मान और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह विशेष तौर पर बीज अंकुरित फलों के माध्यम से फैलता है। यह मेघालय के प्रत्येक किचन गार्डन में पाया जाता है।

चाउ चाउ की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

  • चाउ चाउ की सब्जियों को 1500 मीटर ऊंचाई तक उत्पादित किया जा सकता है। यह एक ग्रीष्मकालीन फसल है, जिसका उत्पादन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों इलाकों में किया जा सकता है। 
  • सर्वोत्तम फल बढ़ोतरी के लिए आदर्श तापमान 30 डिग्री सेल्सियस है। चाउ चाउ बेल पूर्ण सूर्य से हल्की छायांकित परिस्थितियों में तैयार हो सकती है। 
  • चाउ-चाउ उच्च आर्द्रता की स्थिति के साथ मध्यम जलवायु में अच्छे तरीके से पनपता है। ये सब्जियां उत्तर भारतीय पूर्वी क्षेत्रों में बेहतर ढ़ंग से विकसित होती हैं, क्योंकि ये स्थितियां वहां ज्यादा प्रचलित हैं। 
  • यह फसल गर्मियों के दौरान अत्यधिक शुष्क हवा में नहीं चल पाती हैं। सर्दियों में पाले की परिस्थिति से बचना चाहिए, क्योंकि यह फसल पाले के लिए काफी संवेदनशील होती हैं।

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चाउ चाउ की खेती के लिए उपयुक्त मृदा

  • इस फसल को अधिक उपज के लिए अच्छी जल निकासी वाली और ढीली उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। 
  • जैविक सामग्री से भरपूर मिट्टी को व्यावसायिक चाउ फार्मिंग के लिए चुना जाना चाहिए। चाउ-चाउ फसल अम्लीय मिट्टी (5.5 के पीएच से नीचे) के प्रति थोड़ी सहनशील होती है। 
  • तो आदर्श मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होता है।

चाउ चाउ की खेती के लिए भूमि तैयारी

  • खेत की काफी ज्यादा बारीक जुताई करनी चाहिए और 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार के गड्ढे जरूर खोदने चाहिए। 
  • खेत की जुताई की जाती है और 1-2 क्रॉसवाइज जुताई करके एकसार किया जाता है। अपनाई जाने वाली सहायता प्रणाली के आधार पर कुंड 1.5-2.5 मीटर की दूरी पर खोले जाते हैं। 
  • भूमि की तैयारी तथा बुवाई लौकी के बराबर होती है। वहीं, अगर बीज दर की बात करें तो यह मिट्टी और किस्म पर निर्भर रहता है, औसतन 1500 से 1600 अंकुरित सब्जियों/हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है।

चाउ चाउ की सब्जी का रोपण प्रबंधन

  • अगर हम चाउ-चाउ सब्जियों की बुवाई की बात करें तो इसकी बुवाई के लिए बरसात का मौसम अच्छा होता है। 
  • हालाँकि, उपलब्ध सिंचाई के साथ, इसको वर्षभर पैदा किया जा सकता है। आप इस सब्जी को वर्ष भर व्यावसायिक रूप से उगाने के लिए नियंत्रित वातावरण जैसे ग्रीनहाउस/पॉलीहाउस/शेड नेट अपना सकते हैं। 
  • पूर्णतय परिपक्व और अंकुरित फलों/सब्जियों को ज्यादा उपज देने वाली बेलों से इकठ्ठा कर सीधे गड्ढों के बीच में लगाना चाहिए (2 से 3 अंकुरित फल/गड्ढे लगा सकते हैं)। 

चाउ चाउ की खेती में सिंचाई प्रबंधन

  • चाउ चाउ की खेती में ड्रिप सिंचाई सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है। गर्मियों की फसल को 3 से 4 दिनों की समयावधि पर बार-बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। 
  • सर्दियों की फसल की आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई की जाती है। सामान्यतः बरसात के मौसम की फसल को सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है।

चाउ चाउ की खेती में उर्वरक प्रबंधन 

  • उर्वरकों की मात्रा, किस्म, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और रोपण के मौसम पर आधारित होती है। अच्छी तरह से विघटित एफवाईएम (15-20 टन/हेक्टेयर) को जुताई के दौरान मिट्टी में मिलाया जाता है। 
  • प्रति हेक्टेयर उर्वरक की अनुशंसित खुराक 50-100 किग्रा N , 40-60 किग्रा P2O5 और 30-60 किग्रा K2O है। 
  • रोपण से पहले आधा N ,पूरे P और K को लागू किया जाना चाहिए। शेष N फूल आने के समय दिया जाता है। 
  • उर्वरक को तने के आधार से 6-7 सेमी की दूरी पर एक छल्ले में लगाया जाता है। बेहतर होगा कि फल लगने से ठीक पहले सभी उर्वरकों का प्रयोग पूरा कर लें।

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