मौसम में बदलाव के कारण किसानों को गेहूं की फसल में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की बिजाई के बाद अधिक तापमान होने से फुटाव कम हुआ, जिससे कुछ खेतों में गेहूं की बालियां समय से पहले आने लगी है।
अचानक से मौसम में वृद्धि के कारण भी गेहूं की फसल में नुकसान हो रहा है। गेहूं के कुछ खेतों में पीलापन (पीला रतुआ) भी देखा गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं पीला होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे भूमिगत पानी में अतिरिक्त नमक होना, खेत लगातार गीला रहना या दो या दो से अधिक खरपतवार नाशक दवाओं का एक साथ छिड़काव करना।
इसके अलावा इस समय गेहूं की फसल में पीला रतवा रोग के भी लक्षण देखने को मिल सकते है।
इस रोग के लक्षण पत्तों पर पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे कतारों के रूप में दिखाई देते हैं। पत्तों पर ये धब्बे इतने फैल जाते है की पुरे पत्ते को कवर कर लेते है। कभी-कभी ये धब्बे पत्तियों के डंठलों पर भी पाये जाते हैं।
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इसके लिए किसानों को गेहूं की फसल पर 3% यूरिया और 0.5% जिंक सल्फेट डालना चाहिए। 200 लीटर पानी में छह किलो यूरिया और एक किलो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) को मिलाकर एक एकड़ में स्प्रे करें।
इससे फसल का पीलापन लगभग पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। 10 दिन बाद भी, यदि आवश्यकता हो, तो एक स्प्रे और करें।
अगर आपको खेत में इस रोग के लक्षण दिखाई देते है तो इस रोग की रोकथाम के लिए 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल 25% ई.सी (टिल्ट 25 प्रतिशत ई.सी.) को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 15 दिन के अंतराल पर स्प्रे दोबारा से करें।
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