भारत मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों के लिए जारी की कृषि एडवाइजर
By : Tractorbird News Published on : 12-Jan-2024
जनवरी का महीना चल रहा है और ठण्ड भी बहुत भड़ती जा रही है। इस समय किसानों को अपनी फसलों पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। रबी की सभी फसलें इस समय बढ़वार पर है। मौसम में हो रहे निरंतर बदलाव को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों के लिए
कृषि एडवाइजर जारी की है जिससे की किसान अपनी फसलों में उचित प्रबंधन कर सकते हैं। हम यहां आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
गेहूं की फसल
- इस समय किसान नवंबर के दौरान बोए गए गेहूं में दूसरी सिंचाई करें और दिसंबर के दौरान बोए गए गेहूं में पहली सिंचाई करें। देर से बोए गए गेहूं में पहली सिंचाई के साथ नाइट्रोजन की दूसरी खुराक डालें।
- जिंक की कमी होने पर 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21% जिंक) को समान मात्रा में सुखी मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
- इसके अलावा 0.5% जिंक सल्फेट (21% जिंक) का छिड़काव 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 1/2 किलोग्राम कच्चा चूना 200 लीटर पानी में घोलकर15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
- मैंगनीज की कमी होने पर पहली सिंचाई से 2-3 दिन पहले एक स्प्रे करें। 0.5% मैंगनीज सल्फेट घोल या 1 किलोग्राम मैंगनीज सल्फेट 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ साप्ताहिक रूप से छिड़काव करें।
- सल्फर की कमी होने पर एक क्विंटल जिप्सम/एकड़ का छिड़काव करें और उसके बाद हल्की सिंचाई करें, अगर मिट्टी उचित नमी की स्थिति में है तो इसे निराई-गुड़ाई द्वारा मिलाया जा सकता है।
सरसों की फसल
- फसल को पाले से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सिंचाई करें।
- सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए फसल पर 250 ग्राम रिडोमिल गोल्ड को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- स्क्लेरोटिनिया के प्रबंधन के लिए 25 दिसंबर से 15 जनवरी के दौरान सरसों / राया में सिंचाई से बचें।
आलू की फसल
- इन दिनों में नियमित रूप से आलू की फसल का सर्वेक्षण करें और वायरस से प्रभावित आलू के पौधों को नष्ट कर दें।
- आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मास एम-45/मार्कजेब/एंट्राकोल/कवच @ का छिड़काव करें।
- 500- 700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लूपी/मार्क कॉपर @ 750- 1000 ग्राम/एकड़ को 250- 350 प्रति लीटर पानी में मिलाकर
- 7 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
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प्याज की फसल
पोषक तत्वों और नमी की कमी से बचने के लिए निराई-गुड़ाई करें। नियमित अंतराल पर नर्सरी में सिंचाई करें।
अन्य शीतकालीन सब्जियाँ
- सब्जी की फसलों जैसे फूलगोभी, पालक, मेथी, धनिया, मूली, शलजम में मल्चिंग की जा सकती है।
- मटर, टमाटर, बैंगन, मिर्च और शिमला मिर्च। यह सतह से गर्मी के नुकसान को भी कम करता है।
- इन दिनों में नियमित रूप से आलू की फसल का सर्वेक्षण करें और वायरस से प्रभावित आलू के पौधों को बाहर निकालें।
- नाशपाती, आड़ू, बेर और अंगूर जैसे पर्णपाती फलों के बगीचों में इन दिनों के दौरान सिंचाई रोक दें। ताकि पेड़ सुप्तावस्था में चले जाएं और ठंडे मौसम को झेलने के लिए पर्याप्त रूप से कठोर हो जाएं।
- युवा फलों के पौधों को आने वाली सर्दियों से बचाने के लिए सरकंडा के छप्पर या कुल्ली तैयार करें। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दक्षिण-पश्चिम दिशा को खुला छोड़ दिया जाए ताकि पर्याप्त धूप मिल सके।
- अंगूर, अंजीर, नाशपाती, आड़ू, प्लम आदि के नये बागों की स्थापना हेतु लेआउट एवं अन्य तैयारियां प्रारम्भ की जा सकती हैं।
सर्दी में पशुओं की देखभाल कैसे करें?
- सर्दी के मौसम में ठंडी हवाओं को पशुओं के शेड में प्रवेश करने से रोकें।
- पशुओं में सूजन को रोकने के लिए सूखे चारे जैसे गेहूँ/धान के भूसे को बरसीम के हरे चारे में मिलाएं या ल्यूसर्न के साथ दिया गया है।
सभी पशुओं को खुरपका एवं मुंहपका रोग से बचाव का टीका लगवाएं।
मुर्गी पाल
सर्दियों के मौसम के दौरान, ठंडी हवाओं को पोल्ट्री शेडों में प्रवेश करने से रोकें और गीला होने से रोकें। चूजों को ठंड से बचाने के लिए हीटर या बल्ब का प्रयोग करें।