जाने किस मंडी में गिरे प्याज़ के दाम, किसानों को हो रहा है घाटा

By : Tractorbird News Published on : 01-Mar-2023
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जैसा की हम जानते हैं भारत में प्याज़ के दाम काफी तेज़ी से गिर रहे हैं। किसानों को प्याज़ के सही दाम नहीं मिल रहे हैं। प्याज की कीमत बहुत ही ज्यादा तेज़ी से गिर रही है हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र और नासिक के बारे में इन शहरों में लाल प्याज की मांग बहुत कम हो गयी है किसान प्याज को बेचने की वजह उन्हें फेंकना पसंद कर रहे हैं।

प्याज़ की कीमत गिरने का कारण 

ज्यादातर किसान तीन तरह की फसल उगाते हैं :

  • खरीफ फसल - यह फसल जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है।
  • पछैती खरीफ फसल - यह फसल सितंबर-अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी-फ़रवरी में काटी जाती है।
  • रबी फसल - यह फसल दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है।

आमतौर पर हमारे देश के किसान किश्तों पर अपनी फसल बेचते हैं। अगर हम खरीफ प्याज की बात करें तो फरवरी तक और देर से खरीफ मई-जून तक बेची जाती है इन दोनों ही फसलों में नमी की मात्रा अधिक होती है जिस वजह से किसान उन्हें भण्डार घर में 4 महीने तक रख सकते हैं। अगर हम इस लाल प्याज़ की बात करें तो इसमें नमी की मात्रा ज्यादा होती है और इसे किसान 6 महीने तक भण्डार घर में रख सकते हैं। 

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कीमत गिरने का मुख्य कारण 

अगर हम प्याज की कीमत में गिरावट की बात करें तो इसका मुख्य कारण अचानक गर्मी बढ़ने से है। गर्मी में अधिक नमी वाला प्याज खराब हो जाता है जिससे वह सूख जाता है और उसके बल्ब सिकुड़ जाते हैं। ज्यादातर किसान इस समय खरीफ की फसल बेचते हैं लेकिन इस बार बहुत ज्यादा गर्मी होने की वजह से किसान पछेती खरीफ को भी बेच रहे है ताकि वो ज्यादा खराब न हो और उसे अब स्टोर नहीं किया जा सकता है, दोनों ही फसल (खरीफ और पछेती खरीफ) एक ही समय पर आ रही है जिससे की प्याज की कीमत में गिरावट पैदा हो रही है।  

कितनी गिरी कीमत 

अगर हम बात करें नासिक के लासलगांव के थोक बाजार की तो 9 February तक उसमें प्याज़ की कीमत 1050 - 1100 तक थी लेकिन भीषण गर्मीं की वजह से उसकी कीमत 10 February को 1000 तक गयी उसके बाद लाल प्याज की कीमत तेज़ी से गिर रही है। 

प्याज की कीमत में गिरावट के अन्य कारण

भारत में कम से कम प्याज़ का वार्षिक उत्पादन 25 - 26 मिलियन टन है और इसका 40 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र से किया जाता है। जिसमें से 1.5 - 1.6 मिलियन टन का निर्यात किया जाता है। महाराष्ट्र के आलावा अन्य राज्य भी प्याज के उत्पादक हैं जैसे की :

राज्य प्रतिशत
मध्य प्रदेश 16 - 17 प्रतिशत
कर्नाटक 9 - 10 प्रतिशत
गुजरात 6 - 7 प्रतिशत
बिहार और राजस्थान 5 - 6 प्रतिशत

इस साल अच्छी मानसून वर्षा होने की वजह से प्याज़ की खेती में काफी ज्यादा उत्पादन हुआ है लेकिन पछेती खरीफ फसल बाज़ार में बेचने की वजह से इनकी कीमत में गिरावट आयी है। 

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सरकार की तरफ से मदद 

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने मांग की है कि सरकार को 1,000 रुपये प्रति क्विंटल का फ्लोर प्राइस तय करना चाहिए और उस रेट से नीचे कोई भी खरीददारी नहीं होनी चाहिए। 

शनिवार को नेफेड ने एक बयान में कहा कि वह इस हफ्ते नाशिक जिले में खरीद केंद्र खोलेगा। किसानों से विनती है कि वे इन केंद्रों पर बेहतर लाभ उठाने के लिए अपनी अच्छी गुणवत्ता फसल और सूखा स्टॉक लाएं। इसका भुगतान ऑनलाइन किया जायेगा।

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