मानसून के मौसम में लगाए जा सकते है नींबू के पौधे, ऐसे करे खेती

By : Tractorbird News Published on : 08-Jul-2024
मानसून

अधिकांश किसान नींबू की खेती मुनाफे के तौर पर करते हैं। नींबू के पौधे एक बार अच्छी तरह विकसित हो जाने के बाद कई सालों तक उत्पादन देते हैं, जिससे यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों में से एक बन जाती है। 

एक बार पौधरोपण के बाद, नींबू के पौधे 10 साल तक उत्पादन दे सकते हैं। इसके बाद, पौधों को केवल देखरेख की आवश्यकता होती है, और उनका उत्पादन प्रति वर्ष बढ़ता जाता है। 

भारत विश्व का सबसे बड़ा नींबू उत्पादक देश है। नींबू का सबसे अधिक उपयोग खाने में किया जाता है, साथ ही इसे अचार बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। 

आज के समय में नींबू को एक बहुत ही उपयोगी फल माना जाता है, जिसका उपयोग विभिन्न कॉस्मेटिक और फार्मासिटिकल कंपनियों द्वारा भी किया जाता है। 

नींबू का पौधा कैसा होता है?   

  • नींबू का पौधा झाड़ी की तरह होता है, जिसमें कम शाखाएं होती हैं और उन पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं। 
  • नींबू के पौधों में सफेद रंग के फूल होते हैं, जो अच्छी तरह तैयार होने पर पीले हो जाते हैं। 
  • नींबू का स्वाद खट्टा होता है और इसमें विटामिन ए, बी, और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है। 
  • बाजारों में नींबू की सालभर काफी ज्यादा मांग रहती है, जिससे किसान नींबू की खेती से कम लागत में अच्छी आमदनी कर सकते हैं।

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नींबू की खेती के लिए मिट्टी और उपयुक्त जलवायु  

  • नींबू की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी बलुई दोमट मानी जाती है। 
  • इसके अलावा, अम्लीय, क्षारीय और लेटराइट मिट्टी में भी इसका उत्पादन आसानी से किया जा सकता है। 
  • 4 से 9 PH मान वाली मृदा में नीबू की खेती की जा सकती है। 
  • उपोष्ण कटिबंधीय और अर्ध-शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में नींबू की पैदावार अधिक होती है। 
  • भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में नींबू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। 
  • ऐसे इलाके जहां लंबे समय तक ठंड रहती है, वहां नींबू का उत्पादन नहीं करना चाहिए, क्योंकि सर्दियों के दिनों में गिरने वाले पाले से पौधों को काफी नुकसान होता है।                             

नींबू की उन्नत किस्में

नींबू की अधिक पैदावार लेने के लिए अच्छी किस्मों का चुनाव सबसे मत्वपूर्ण माना जाता है। अच्छी उपज देने वाली उन्नत किस्में निम्नलिखित है:-

कागजी नींबू, प्रमालिनी, विक्रम या पंजाबी बारहमासी, चक्रधर, पी के एम-1, और साई सरबती आदि। 

नींबू की खेती के लिए भूमि की तैयारी 

  • मैदानी इलाकों में खेतों की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और खेत को समतल बनाना चाहिए ताकि जल जमाव न हो। 
  • पर्वतीय इलाकों में खेतों को तैयार करने के बाद उनमें मेड़ बनाकर नींबू के पौधे लगाने चाहिए।
  • जमीन की जुताई करने के बाद खेत में गोबर की खाद डालनी चाहिए, फिर जुताई करके खेत को रोपाई के लिए छोड़ देना चाहिए। 
  • एक सप्ताह तक खेत को अच्छी धूप मिलने के बाद उसमें नींबू के पौधे लगाने के लिए गड्ढे बनाने चाहिए। 
  • प्रति हेक्टेयर 500 पौधे लगाने के लिए चार गुणा चार मीटर की दूरी पर गड्ढे बनाने चाहिए। 
  • अधिक उपजाऊ मिट्टी में पौधों की दूरी 5 गुणा 5 मीटर होनी चाहिए। 
  • पौध लगाने के लिए दो फीट गहरा और दो फीट वर्गाकार का गड्ढा होना चाहिए।

नींबू के पौधों की सिंचाई 

  • नींबू के पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। वह इसलिए क्योंकि नींबू का पौधरोपण बारिश के मौसम में किया जाता है। 
  • इस वजह से उन्हें इस दौरान ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके पौधों की सिंचाई नियमित समयांतराल के अनुरूप ही करें। 
  • सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देता होता है। 
  • इससे ज्यादा पानी देने पर खेत में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो कि पौधों के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होती है।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

  • नींबू के पौधों कों खेत में लगाने के बाद गोबर की खाद देनी होती है। पहले साल गोबर की खाद प्रति पौधे के हिसाब से 5 किलो देनी चाहिये। 
  • दूसरे साल 10 किलो पौधा गोबर की खाद देना चाहिये। 
  • इसी अनुपात में गोबर की खाद को तब तक बढ़ाते रहना चाहिये जब तक उसमें फल न आने लगें। 
  • इसी तरह खेत में यूरिया भी पहले साल 300 ग्राम देनी चाहिये। दूसरे साल 600 ग्राम देनी चाहिये। 
  • इसी अनुपात में इसको भी बढाते रहना चाहिये। यूरिया की खाद को सर्दी के महीने में देना चाहिये तथा पूरी मात्रा को दो या तीन बार में पौधें में डालें।

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