भारत में अलग - अलग तरीके की फसल को उगाया जाता है और हर एक फसल का अपना अलग महत्व होता है। फसलों के पोषक तत्त्व भी भिन्न होते है। जैसा की हमें पता है भारत में अनेक प्रकार की फसल उगाई जाती हैं जिसमें से हम बात करने वाले हैं मिलेटस के बारे में। इस लेक में हम बताने वाले हैं कैसे आप मिलेटस को उपयोग करके छोटे किसानों को लाभ पहुंचा सकते हैं।
मिलेटस को हम मोटे अनाज के तौर पर जानते हैं जिसमें की काफी फसलें आती है जैसे की (ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू)। इस अनाज के अंदर काफी मात्रा में पोषक तत्त्व होते हैं जो सबके लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
जैसा की हमें पता है सब लोग इस साल को मिलेटस ईयर के रूप में माना रहे है। इन मिलेटस की फसलों का सही उपयोग करने के लिए जबलपुर के जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में दो दिवसीय नेशनल मिलेटस कांफ्रेंस का शुभारम्भ किया गया।
इस कांफ्रेंस में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया की मोटा अनाज अर्थात मिलेट हमारे लिए कितना ज़रूरी है उसके अंदर कई पोषक तत्त्व होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। नरेंद्र तोमर ने कहा कि आज के समय में सबके पास भोजन तो है लेकिन पोषक तत्त्व की कमी है। इसी पोषक तत्त्व की कमी का पूरा करने के लिए नरेंद्र तोमर ने दो दिवसीय नेशनल मिलेटस कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया और लोगों को मिलेटस के फायदे बताये।
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श्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि मिलेटस की खेती पुराने समय से अत्यधिक मात्रा में होती रही है लेकिन लोगों ने मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल नहीं किया है। पहले समय में लोग काफी ज्यादा मिलेट का उपयोग करते थे लेकिन आज के समय में मिलेट भोजन की थाली से गायब ही हो गया है और लोग उसके पोषक तवा को भूलने लगे हैं। लेकिन मिलेटस को दुबारा से उपयोग में लाने के लिए काफी कोशिश की जा रही है।
इसी वजह से भारत में इस वर्ष 2023 को मिलेटस ईयर के नाम से लोग जान रहे हैं। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी 18 मार्च को दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इसे विधिवत तरीके से लांच करेंगे। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस साल पुरे देश के कम से कम 50 शहरों में G- 20 बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में बाहर विदेशों के लोग भी शामिल होंगे लगभग 2 लाख लोग का अनुमान सरकार लगा रही है।
इस G-20 के बैठक में मुख्य रूप से मिलेटस के ऊपर चर्चा की जाएगी। इसमें आपको बताया जायेगा की आप कैसे अपने भोजन में मिलेट को शामिल करें ताकि आपको पोषक तत्व मिल सकें और आप स्वस्थ रहे। इन बैठक में पूरी तरह से मिलेट पर चर्चा की जाएगी। मिलेटस का जितना ज्यादा उपयोग होगा उतना ही हमारे देश के किसान को लाभ होगा।
मिलेटस की खेती बहुत ही कम खर्च में हो जाती है इसके लिए न ही ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है न ही ज्यादा पैसे की। इसको कम खर्च में उगाया जा सकता है। मिलेट के उपयोग जितनी तेजी से बढ़ेगा उतना ही लोगों को फायदा होगा और उन्हें पोषक तत्त्व मिलेंगे।
इसी वजह से ये मिलेट ईयर काफी महत्वपूर्ण है क्योकि इसके कई लाभ हैं। कम दाम और खर्च में आपको कई लाभ मिल जायेंगे। भारत में इसके ऊपर काफी रिसर्च चल रही है और इस रिसर्च को बढ़ाने के लिए देश के तीन राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र हरियाणा, हैदराबाद व बेंगलुरू में स्थापित किए गए है, जिनके द्वारा काफी काम हो रहा है।
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भारत में लोग खेती बहुत बड़े स्तर पर करते हैं कृषि छेत्र में कम से कम 2000 से भी ज्यादा स्टार्टअप बनाये गए हैं। जिसमें से ज्यादातर मिलेट से जुड़े हुए हैं। हमारे देश से कृषि उत्पादों का भी बड़े स्तर पर निर्यात किया जाता है। 4 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा निर्यात किया जाता है जिसमें से ज्यादातर निर्यात आर्गेनिक और मिलेट का होता है। आज के समय में लोग आर्गेनिक खेती पर भी बहुत जोर दे रहे हैं।
अंत में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय की सरहाना करते हुए कहा कि इस विश्व विद्यालय का भी मिलेट की बढ़ाने में योगदान रहा है। नरेंद्र तोमर के साथ साथ अन्य मंत्री भी मौजूद थे।
इस लेख में हमने मिलेटस पर हुई कांफ्रेंस के बारे में आपको जानकारी दी। अगर आपको ट्र्रैक्टर और खेती से जुडी हुई कोई भी जानकारी चाहिए तो आप हमारी वेबसाइट TractorBird को फॉलो कर सकते हैं।