बेर उत्पादन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी जानिए यहाँ

By : Tractorbird News Published on : 11-Feb-2025
बेर

बेर की खेती भारत में प्रमुखता से की जाती है और इसे "गरीबों का सेब" भी कहा जाता है। बेर एक तेजी से बढ़ने वाला, छोटा फैलने वाला पेड़ है, जिसकी शाखाएँ बेल जैसी लटकती हैं। 

इसके गोल और अंडाकार आकार के रेशमी भूरे रंग के फलों में 5.4-8.0% शर्करा और 100 ग्राम में 8.5-9.5 मिलीग्राम विटामिन C (एस्कॉर्बिक एसिड) पाया जाता है।

मध्य एशिया को बेर की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है, और यह पेड़ लैक कीट का मेज़बान होता है, जिससे लैक का उत्पादन होता है। 

बेर की जड़ों का पाउडर औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जैसे अल्सर, बुखार और घावों का इलाज। तने की छाल का पाउडर दस्त के इलाज में सहायक होता है। 

इस लेख में हम बेर की खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।

जलवायु और मृदा की आवश्यकताएँ

  • भारत में बेर की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। यह पेड़ शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में भी उग सकता है, जहाँ अत्यधिक सिंचाई संभव नहीं होती। 
  • यह 40°C तक के तापमान को सहन कर सकता है, लेकिन ठंडे तापमान में यह प्रभावित हो सकता है। 
  • बेर की गहरी ताड़ जैसी जड़ प्रणाली के कारण यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी की स्थितियों में उग सकता है। 
  • यदि मिट्टी खारी हो, तो प्रति गड्डे में किलोग्राम जिप्सम डालने की सलाह दी जाती है।

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बेर की उन्नत किस्में

बेर की उन्नत किस्में उपज को बढ़ाने में मदद करती हैं। कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:

1. कैतिली: कांटे कम होते हैं, फल अंडाकार-दीर्घाकार होते हैं, और औसतन वजन 6.22 ग्राम होता है।

2. उम्रान: मध्यम आकार के पेड़, झाड़ीदार शाखाएँ, दीर्घाकार फल, वजन 6-7 ग्राम।

3. गोला: फैलने वाली शाखाएँ, गोल फल, वजन 14-2 ग्राम, प्रति पेड़ 100-12 किलोग्राम फल।

4. सेओ: गोल फल, हल्का गुलाबी पीला रंग, पंजाब में पाई जाती है।

5. सेब: जल्दी पकने वाली किस्म, सुनहरे पीले रंग के फल, प्रति पेड़ 90-100 किलोग्राम फल।

6. बनारसी: मध्य-ऋतु की किस्म, सुनहरे पीले रंग के फल, प्रति पेड़ 100-110 किलोग्राम फल।

7. छुहारा: मध्य-ऋतु की किस्म, हरे-पीले रंग के फल, वजन 16.8 ग्राम।

8. संधुरा नारनौल (सणौर नं. 1): खड़ा पेड़, सुनहरे पीले रंग के फल, उत्पादन 80 किलोग्राम/पेड़/वर्ष।

9. एलाईची: फैलने वाले पेड़, इलायची जैसे छोटे फल, औसतन उत्पादन 11 किलोग्राम/पेड़/वर्ष।

भूमि की तैयारी और रोपण

  • बेर की खेती के लिए 'T' या उल्टे 'T' कलम का उपयोग किया जाता है, जो Z. jujuba, Z. xylocarpa और Z. rotundifolia के बीजांकुरों पर तैयार की जाती है। 
  • बीजों को विशेष तरीके से उपचारित किया जाता है, फिर इन्हें पॉली बैग में बोया जाता है। 
  • जब बीज अंकुरित हो जाते हैं, तब इन्हें खेत में रोपा जाता है। इस प्रक्रिया में खेत की गोबर खाद और सिंचाई की जाती है।

बेर की तुड़ाई और उत्पादन

  • बेर की तुड़ाई केवल उन्हीं फलों की जाती है, जो पूरी तरह से पके होते हैं और जिनका रंग पीला या सुनहरा पीला होता है। 
  • 10-20 वर्ष पुराने पेड़ से औसतन 100-200 किलोग्राम फल प्रति वर्ष प्राप्त होते हैं। 
  • फलों को सुरक्षित रखने के लिए 30°C तापमान और 8-90% आर्द्रता में 30 से 40 दिनों तक भंडारण किया जा सकता है।

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