किनोवा की खेती: फसल की विधि, लाभ और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग
By : Tractorbird News Published on : 02-Dec-2024
चिनोपोडियम किनोवा एक वनस्पति है जो बथुआ प्रजाति का सदस्य है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में किनोवा, केनवा आदि नाम से जाना जाता है। इसका अधिकांश उत्पादन दक्षिण अमेरिकी देशों में होता है।
इंग्लैंड, कनाडा, आस्टेलिया, चाइना, बोलिविया, पेरू इक्वाडोर सहित कई अन्य देशों में इसकी खेती की जाती है। किनोवा की खेती रबी के मौसम में की जाती है।
आईये इस लेख में इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं।
खेत की तैयारी
खेत को अच्छी तरह तैयार करने के लिए 2-3 बार जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
अंतिम जुताई से पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 5-6 टन गोबर की खाद मिला देनी चाहिए और खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।
जैविक खेती में किनोवा की बुआई
किनोवा की बुआई अक्टूबर, फरवरी, मार्च और कई क्षेत्रों में जून-जुलाई में की जा सकती है।
- इसका बीज बहुत छोटा होता है, इसलिए प्रति बीघा 400-600 ग्राम बीज पर्याप्त है।
- इसे कतरों में या सीधे बिखेरकर बोया जा सकता है।
- बीज को मिट्टी में 1.5-2 से.मी. गहराई तक लगाना चाहिए।
- पौधे 5-6 इंच के हो जाने पर, पौधों के बीच 10-14 इंच की दूरी बना लेनी चाहिए और अतिरिक्त पौधों को हटा देना चाहिए।
ये भी पढ़ें: गुलमेंहदी की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन
- बुआई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए।
- किनोवा के पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है।
- पूरी फसल अवधि में 3-4 बार सिंचाई पर्याप्त रहती है।
- पौधे छोटे होने पर खरपतवार को हटाना जरूरी है।
कीट और रोग प्रबंधन
- किनोवा के पौधों में कीट और रोगों से लड़ने की अच्छी क्षमता होती है।
- यह पाले और सूखे को भी सहन कर सकता है।
- अब तक किनोवा पर किसी विशेष रोग की जानकारी नहीं मिली है।
फसल कटाई
- किनोवा की फसल 100 दिनों में तैयार हो जाती है।
- अच्छी तरह विकसित फसल की ऊंचाई 4-6 फीट तक होती है।
- इसे सरसों की तरह काटकर थ्रेशर से बीज निकाले जा सकते हैं।
- बीज निकालने के बाद उन्हें कुछ दिनों तक धूप में सुखाना चाहिए।
- प्रति बीघा उत्पादन 5-8 क्विंटल तक हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य: 500-1000 रुपये प्रति किलो।