तोरिया की खेती : इस खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी के बारे में जाने यहां

By : Tractorbird News Published on : 06-Sep-2024
तोरिया

तोरिया (Brassica rapa var. Toria) सरसों की एक किस्म है, जिसे रबी सीजन में उगाया जाता है। यह एक तिलहन फसल है और इसके बीजों से तेल निकाला जाता है। 

तोरिया की खेती भारत के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से उत्तरी और पूर्वी राज्यों में की जाती है। इस फसल को शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है। 

यह जल्दी पकने वाली फसल है और इसकी खेती सीमित पानी की उपलब्धता में भी की जा सकती है। 

इसी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में हम इस लेख में आपको सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है।

बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

तोरिया की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर सकते है। 

पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताइयाँ देशी हल, कल्टीवेटर/हैरो से करके पाटा देकर मिट्टी भुरभुरी बना लेना चाहिए। 

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बुवाई के लिए बीज का चयन और बीज दर 

  • बीज जनित रोगों से बचने के लिए सिर्फ उपचारित और प्रमाणित बीज बोना चाहिए। 
  • इसके लिए बीज को उपचारित करके ही 2.5 ग्राम थीरम प्रति किग्रा बीज की दर से बोयें। थीरम न होने पर मैंकोजेब का उपचार 3 ग्राम प्रति किग्रा०0 बीज से किया जा सकता है। 
  • प्रारंभिक चरण में, मैटालेक्सिल 1.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से शोधन करने से तुलासिता और सफेद गेरूई रोगों को रोकता है। 
  • तोरिया/लाही का बीज 4 किग्रा०0प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। 

तोरिया की बुआई का समय और बुआई की विधि

  • तोरिया की बुआई सितम्बर में की जानी चाहिए। 
  • गेहूँ की अच्छी फसल लेने के लिए तोरिया की बुआई सितम्बर के पहले पखवारे में समय मिलते ही की जानी चाहिए। 
  • भवानी प्रजाति की बुआई सितम्बर के दूसरे पखवारे में ही करें। 
  • कतारों में 30 सेमी की दूरी पर 3 से 4 सेमी की गहराई पर देशी हल या सीड ड्रिल से बुआई करना चाहिए, पाटा लगाकर बीज को ढक देना चाहिए।

फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन

  • सिंचित क्षेत्रों में प्रति हेक्टर 80-100 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फेट और 50 किग्रा पोटाश दी जानी चाहिए। 
  • SSP के रूप में फास्फेट अधिक फायदेमंद है, क्योंकि इससे 12 प्रतिशत गंधक मिलता है
  • अंतिम जुताई के समय, मशीन द्वारा बीज से 2-3 सेमी० नीचे फास्फेट और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा प्रयोग करनी चाहिए। 
  • पहली सिंचाई (बुआई के 25 से 30 दिन बाद) टाप ड्रेसिंग के रूप में शेष नाइट्रोजन देना चाहिए। 
  • 200 किग्रा जिप्सम और 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग गंधक के लिए आवश्यक है।

खरपतवार नियंत्रण 

बुआई के पंद्रह दिनों के अंदर घने पौधों को निकाल देना चाहिए, उन्हें आपस में 10-15 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए और खरपतवारों को मारने के लिए एक निराई-गुड़ाई भी करनी चाहिए। 

यदि खरपतवार बहुत हो तो पैन्डीमेथलीन को 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर, 3.3 लीटर प्रति हे0 की दर से, बुआई के बाद और जमाव से पहले छिड़कना चाहिए।

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