ग्रीष्मकालीन भिंड़ी की टॉप 5 किस्म, जो की देगी बंपर पैदावार

By : Tractorbird Published on : 20-Apr-2025
ग्रीष्मकालीन

भिंडी रसोई के बगीचों में उगाई जाने वाली सबसे पसंदीदा सब्जियों में से एक है। इसमें विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। 

इसका औषधीय महत्व भी है। भिंडी को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसे भुरभुरा होना चाहिए। हालाँकि, यह रेतीली से लेकर दोमट तक की हल्की मिट्टी में सबसे अच्छी तरह से उगती है। 

भिंड़ी की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। गर्मी के मौसम में भिंडी की खेती की जाती है, ग्रीष्मकालीन भिंडी की अच्छी पैदावार होती है जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। 

इस लेख में हम आपको ग्रीष्मकालीन भिंड़ी की टॉप 5 किस्मों के बारे में जानकारी देंगे। 

ग्रीष्मकालीन भिंड़ी की टॉप 5 किस्म

  • ग्रीष्मकालीन मौसम में भिंडी की खेती से किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं इस समय इसकी उपज अच्छी होती हैं, नीचे भिंड़ी की टॉप 5 किस्म दी गयी हैं जिनकी जानकारी भी निम्नलिखित हैं - 
  • गर्मियों में किसान ग्रीष्मकालीन भिंडी की उन्नत किस्में (जैसे पूसा ए-5, पूसा सावनी, पूसा मखमली, VRO-4, उत्कल गौरव) और वायरस प्रतिरोधी किस्में (जैसे पूसा ए-4, परभणी क्रांति, पंजाब-7, पंजाब-8, आजाद क्रांति, हिसार उन्नत, वर्षा उपहार और अर्का अनामिका) उगा सकते हैं।

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भिंड़ी की खेती के लिए भूमि की तैयारी

  • भूमि की अच्छी तैयारी के लिए 2-3 बार जुताई करनी चाहिए। भूमि तैयारी के समय अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद (25 टन प्रति हेक्टेयर) मिलानी चाहिए। 
  • भिंडी की बुवाई मेड़ों पर या समतल भूमि पर की जाती है। यदि मिट्टी भारी हो, तो बुवाई मेड़ों पर ही करनी चाहिए। 
  • नीम खली और मुर्गी की खाद जैसे जैविक खादों का प्रयोग पौधों की वृद्धि और फसल की उपज में सुधार करता है। 
  • नीम खली और मुर्गी की खाद के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है। 

भिंडी की खेती के लिए बीज और बुवाई का तरीका 

भिंडी की खेती के लिए गर्मी के मौसम में लगभग 3.5 से 5.5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और वर्षा ऋतु में 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। 

बीज की मात्रा अंकुरण प्रतिशत, बुवाई की दूरी और मौसम के अनुसार बदलती रहती है। बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टिन (0.2%) के घोल में 6 घंटे तक भिगोया जाता है। 

इसके बाद बीजों को छाया में सुखाया जाता है। बीजों को मेड के दोनों ओर की फरो (नालियों) में बोया जाता है। 

खरीफ मौसम में पौधों के बीच दूरी 60 x 30 सेमी रखी जाती है, जबकि गर्मी के मौसम में 30 x 30 सेमी की दूरी पर बुवाई की जाती है।

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