27-4-2023 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और ट्रैक्टर और मशीनीकरण संघ (TMA) द्वारा आयोजित कृषि मशीनरी प्रौद्योगिकी पर शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस कार्यक्रम को सम्भोदित करते हुए श्री तोमर ने कहा कि देश में लगभग 85 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें तकनीक और मशीनरी का लाभ मिलना चाहिए। श्री तोमर ने कहां की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार अपने स्तर पर इस दिशा में लगातार काम कर रही है ताकि किसानों को लाभ प्राप्त हो। श्री तोमर ने बताया कि उप-मिशन के तहत प्रशिक्षण, परीक्षण, सीएचसी की स्थापना, हाई-टेक हब और फार्म मशीनरी बैंक (एफएमबी) जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए 2014-15 से 2022-23 तक राज्यों को 6120.85 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
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मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि भारत सरकार ने केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (सीएफएमटीटीआई), बुदनी में नई पद्धति लागू करके ट्रैक्टरों के परीक्षण को पूरा करने के लिए आवश्यक समय को घटाकर अधिकतम 75 कार्य दिवस कर दिया है। इसके अतिरिक्त 1.64 लाख श्रमिकों ने केंद्र सरकार से 2014-15 और 2022-23 के बीच अपने चार FMTTI अनुमोदित अधिकृत परीक्षण केंद्रों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
14,000 करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष, जिसने ऐसी परियोजनाओं को अधिकृत किया है जो किसानों की मदद करेंगी। किसान ड्रोन को प्रोत्साहित किया जा रहा है और ड्रोन नीति शुरू करने के अलावा किसानों, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों और महिला किसानों सहित कई समूहों को सब्सिडी प्रदान की जा रही है। कीटनाशकों को लगाने के लिए ड्रोन के उपयोग के लिए एक फसल-विशिष्ट एसओपी भी जारी की गई है।
श्री तोमर के अनुसार, कठिन समय में भी हमारी कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव को कोई नहीं गिरा सका क्योंकि यह राष्ट्रीय प्राथमिकता है। भारत वर्तमान में कृषि उत्पादों के मामले में दुनिया में पहले या दूसरे स्थान पर है, इसके लिए अपने किसानों के प्रयासों, वैज्ञानिकों और उद्योग के काम और प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित सरकार की किसान-हितैषी नीतियों की बदौलत है।
हालाँकि, हम आराम से बैठकर अपनी सफलता का आनंद नहीं उठा सकते। इसके बजाय, हमें एक ऐसा रोडमैप बनाना चाहिए जो 2050 तक आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखे, जो कि 2050 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, साथ ही बदलते राजनीतिक परिदृश्य और भारत के बढ़ते वैश्विक महत्व को ध्यान में रखे। हमें इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
2014 के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश में एक अलग तरह की कार्य संस्कृति ने जड़ें जमाई हैं। इन सालों में जो बदलाव आए हैं, उन्होंने देश और दुनिया में उम्मीद जगाई है। यदि सरकार का संकल्प मजबूत हो और नेता की नीयत नेक हो तो पहल अच्छी होती है और उसे स्वीकार करने की क्षमता भी बढ़ती है। कैशलेस लेन-देन में आज भारत अमेरिका, जापान और जर्मनी से भी आगे है।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम उत्पादन की होड़ में हैं तो हमें इसे अपने देश के पिछले वर्षों के आंकड़ों की बजाय विदेशों के उत्पादन से तुलना करके बढ़ाना चाहिए। हमें जमीन कम होने पर भी खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाते रहना है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, पिछले वर्षों के आंकड़ों की तुलना में हमें अपने उत्पादन की तुलना अन्य देशों के उत्पादन से करने के बजाय प्रतिस्पर्धा की स्थिति में इसे बढ़ाने के लिए करना चाहिए। भले ही हमारे पास कम जमीन हो, हमें खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाते रहना चाहिए। इसमें कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है और वर्तमान परिवेश में तकनीक, विशेष रूप से मशीनों को भी महत्व मिला है।
समकालीन मांगों के अनुसार बंजर भूमि पर खेती करना और अगली पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करना भी आवश्यक है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के निर्देशन में प्रशासन इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। ई-नाम मंडियों के माध्यम से किसानों की बाजार तक पहुंच में सुधार हुआ है और कृषि क्षेत्र की कमी को पूरा किया जा रहा है। इन उद्देश्यों के लिए, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के पैकेज अलग रखे गए हैं। उन्होंने जल संरक्षण करते हुए अधिक से अधिक किसानों तक सूक्ष्म सिंचाई जैसी तकनीक के प्रसार पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में श्री भारतेंदु कपूर, श्री मुकुल वार्ष्णेय, श्री कृष्णकांत तिवारी, श्री एंटनी चेरुकारा के साथ-साथ अन्य कार्यालय धारकों और सदस्यों की भागीदारी शामिल थी। बैठक में मूल उपकरण निर्माताओं, नीति निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं, उत्पाद विकास और डिजाइन फर्मों सहित हितधारकों ने भाग लिया।