गुलदाउदी फूल क्या है और इसकी कीट व रोगों से कैसे सुरक्षा करें ?
By : Tractorbird News Published on : 19-Dec-2024
गुलदाउदी संसार के सर्वाधिक मशहूर एवं शरद ऋतु में फूलनेवाले पौधों में से एक है। यह चीन का देशज है, जहाँ से यह यूरोप में भेजा गया।
सन् 1780 में फ्रांस के एक महाशय सेल्स ने इंग्लैंड के विश्वविख्यात उपवन क्यू में इसे सबसे पहले उत्पन्न किया।
इसके बाद अपने सुंदर तथा मोहक रूप की वजह से इसके फूलों में कीटनाशक पदार्थ, अर्थात पाईथ्रोम होने की वजह से गुलदाउदी का प्रसार बहुत ही विस्तृत हो गया है।
इस वक्त गुलदाउदी की तकरीबन 150 प्रजातियाँ हैं, जो यूरोप, अमरीका, अफ्रीका तथा एशिया महाद्वीपों में मुख्य रूप से पाई जाती हैं।
इनमें से उपवनों में उगाई जाने वाली गुलदाउदी को क्राइसैंथिमस इंडिकम के नाम से जाना जाता है।
1. ग्रे मोल्ड (बोट्रीटीस सिनेरिया)
- ग्रे फफूंद फूलों और पत्तियों पर भूरे-भूरे रंग की रोयेंदार वृद्धि का कारण बनती है, जिससे सड़न होती है।
- प्रबंधन: कम आर्द्रता बनाए रखें, संक्रमित पौधे के मलबे को हटा दें और अच्छा वायु परिसंचरण प्रदान करें।
- कवकनाशी का उपयोग रोकथाम के लिए किया जा सकता है, जैसे ब्लाइटॉक्स 50 @3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से ग्रे मोल्ड फफूंदी रोग के प्रबंधन में भी प्रभावी लाभ मिलता हैं।
2. जड़ सड़न रोग
- जड़ सड़न विभिन्न कवक के कारण होती है और इसके परिणामस्वरूप जड़ें सड़ जाती हैं, जिससे विकास रुक जाता है और पौधा मुरझा जाता है।
- प्रबंधन: मिट्टी की जल निकासी में सुधार करें, अधिक पानी भरने से बचें और कवकनाशी-उपचारित रोपण मीडिया का उपयोग करें। प्रतिरोधी किस्मों पर भी विचार किया जा सकता है।
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3. पत्ती धब्बा रोग
- विभिन्न कवक और जीवाणु रोगजनक पत्तियों पर धब्बे पैदा करते हैं, जिससे पौधे का संपूर्ण स्वरूप प्रभावित होता है।
- प्रबंधन: संक्रमित पत्तियों को हटाएं और नष्ट करें, पर्याप्त दूरी प्रदान करें, और तांबा आधारित कवकनाशी लागू करें।
4. वायरल रोग
- गुलदाउदी विभिन्न वायरस से प्रभावित हो सकती है, जिससे विकास रुक जाता है, मोजेक पैटर्न और पत्तियां विकृत हो जाती हैं।
- प्रबंधन: एफिड्स और अन्य वैक्टरों को नियंत्रित करें, वायरस-मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग करें, और प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित पौधों को हटाने पर विचार करें।
5. एफिड संक्रमण
- एफिड्स सामान्य कीट हैं, जो वायरस फैला सकते हैं और पत्तियों और फूलों के विरूपण की वजह बनते हैं।
- प्रबंधन: प्राकृतिक शिकारियों का परिचय दें, कीटनाशक साबुन का उपयोग करें, और शीघ्र पता लगाने और हस्तक्षेप के लिए नियमित रूप से निगरानी करें।
6. मकडी
- जानकारी के लिए बतादें कि मकड़ी छोटे पौधे के रस को चूसती हैं, जिससे पौधे कमजोर और उसमें मलिनकिरण पैदा होती है।
- प्रबंधन: आर्द्रता बढ़ाएं, शिकारी घुनों का उपयोग करें और कीटनाशक साबुन लगाएं। धूल हटाने के लिए पौधों को नियमित रूप से धोएं, जिससे घुन का संक्रमण हो सकता है।
कल्चरल (कृषि) उपाय क्या हैं ?
- किसान भाई संक्रमित पौधों की खराब परत को हटाकर साफ सफाई का कार्य अवश्य करें। मृदा-जनित रोगजनकों के संचय को कम करने के लिए फसलों का चक्रीकरण अवश्य करें।
- कृषक रोग के लक्षणों के लिए पौधों की नियमित तौर पर निगरानी और त्वरित कार्रवाई अवश्य करें।