Zero Budget Natural Farming - जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है?

By : Tractorbird News Published on : 20-Sep-2024
Zero

जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) एक ऐसी खेती की तकनीक है, जिसमें बिना बाहरी निवेश (जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक या महंगे बीज) के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके खेती की जाती है। 

इसका उद्देश्य किसानों को कर्ज़ मुक्त खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उत्पादन लागत को कम करना है। इस लेख में हम आपको जीरो बजट प्राकृतिक खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

जीरो बजट प्राकृतिक खेती का महत्व 

  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती जैसे कुदरती खेती के तरीके, जो किसानों को उस इनपुट को खरीदने के लिए कर्जे की लौड़ को कम करते हैं। 
  • यह बीज, उर्वरक, कीटनाशकों और दूसरे रसायनों जैसे बाहरी आदानों पर निर्भरता घटाकर खेती की लागत को कम करता है। 
  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती जहरीले पदार्थों के एन्वायरोमैंटली और दीर्घकालीन प्रजनन असरों के खिलाफ लड़ाई में फायदेमंद है। 
  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती अभियान का उदेश्य रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग खत्म करना और आवाज कृषि संबंधित प्रथाओं को बढ़ावा देना है। 
  • यह मिट्टी सुरक्षा, बीज तीनता को बढ़ाता है और फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है।

जीरो बजट प्राकृतिक खेती के सिद्धांत 

  • प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: इस विधि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक खादों और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
  • जैविक खेती: जीरो बजट प्राकृतिक खेती में जैविक खेती के सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जिसमें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पर्यावरण को संरक्षण करने पर ध्यान दिया जाता है।
  • किसानों की आय बढ़ाना: इस विधि के माध्यम से किसान अपनी लागत कम कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती सिद्धांतों के अनुसार, फसलों को पोषक तत्वों की आपूर्ति का 98 प्रतिशत पानी, धूप और हवा से मिलता है और बाकी 2 प्रतिशत की पूर्ति बहुत सारे अनुकूल सूक्ष्मजीवों के साथ अच्छी गुणवत्ता के साथ की जा सकती है। 
  • इस प्रकार की खेती में ही पालन और कुदरती रूप से मिलने वाले कीटनाशकों को बढ़ावा दिया जाता है।

जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लाभ 

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: प्राकृतिक खादों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, जिससे फसलों की उपज में वृद्धि होती है।
  • पर्यावरण संरक्षण: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचने से पर्यावरण प्रदूषण कम होता है। 
  • किसानों की आय बढ़ाना: कम लागत के साथ अधिक उत्पादन प्राप्त करने से किसानों की आय बढ़ती है।
  • स्वस्थ भोजन: जैविक खेती से उत्पादित फसलें अधिक पोषक तत्वों से युक्त होती हैं और स्वस्थ होती हैं।

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जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तत्व

जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) के चार प्रमुख तत्व होते हैं, जो पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित हैं। 

इन तत्वों का उद्देश्य खेती को बाहरी निवेश से मुक्त करना और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करके फसलों का उत्पादन करना है। ये चार तत्व इस प्रकार हैं:

  •  जीवामृत: गाय के गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी को मिलाकर तैयार किया जाने वाला मिश्रण है, जो प्राकृतिक उर्वरक का काम करता है और मिट्टी में आवश्यक सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है और फसलों की बढ़वार के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है। 
  • यह रासायनिक उर्वरकों का प्राकृतिक विकल्प है। जीवामृत मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। 
  • बीजामृत: बीजों को तैयार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला मिश्रण, जिसमें गाय का गोबर, गौमूत्र, नीम की पत्तियां आदि होते हैं। 
  • यह बीजों को रोगों से बचाता है और उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ाता है। इस उपचार का इस्तेमाल नए पौधों के बीज रोपण के दौरान किया जाता है और बीज अमृत की मदद से नए पौधों की जड़ों को कवक मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों और बीजों की बीमारियों से बचाया जाता है। 
  • बीजअमृत को बनाने के लिए गाय का गोबर, एक शक्तिशाली कुदरती कवकनास, गाय मूत्र, एंटी बैक्टीरिया तरल, नींबू और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • किसी भी फसल के बीजों को बीजने से पहले उन बीजों में आप बीज अमृत अच्छी तरह से डाल दें और यह डालने के बाद उन बीजों को कुछ समय सूखने के लिए छोड़ दें। 
  • इन बीजों पर लगा बीज अमृत का मिश्रण सूख जाने के बाद आप इनको जमीन में बीज सकते हो। 
  • मल्चिंग (आच्छादन): खेत की मिट्टी को घास या पत्तियों से ढक कर रखा जाता है, ताकि नमी बनी रहे और खरपतवार की समस्या कम हो। 
  • वफसा (मिट्टी में नमी और हवा का संतुलन): यह तकनीक मिट्टी में हवा और नमी का संतुलन बनाए रखने के लिए उपयोग की जाती है, जिससे पौधों की जड़ें बेहतर तरीके से पोषक तत्व ग्रहण कर पाती हैं।

ये सभी तत्व एक उत्प्रेरक एजेंट के रूप में काम करते है, जिसकी वजह से मिट्टी में सूक्ष्मजीवी गतिविधि बढ़ जाती है और फसलों की पैदावार बढ़िया तरीके से होती है। 

इसके अलावा जीव अमृत की मदद से रूखों और पौधों को कवक और जीवाणु संयड़ रोग होने से भी बचाया जा सकता है।

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में मलचिंग

  • मिट्टी की नमी की सुरक्षा करने के लिए और उसकी प्रजनन समता को बनाए रखने के लिए मलचिंग का सहारा लिया जाता है। 
  • मल्च प्रक्रिया के अंदर मिट्टी की तैय पर कई तरह की मटेरिअल लाए जाते हैं, ताकि खेती के दौरान मिट्टी की गुणवत्ता को नुकसान ना पहुंचे। मलचिंग तीन तरह की होती है। जो कि मिट्टी मल्च, स्ट्रा मल्च और लाइव मल्च है।

मिट्टी मल्च

खेती के दौरान मिट्टी की ऊपरी तय को कोई नुकसान ना पहुंचे इसके लिए मिट्टी मल्च का प्रयोग किया जाता है और मिट्टी के आसपास और मिट्टी को एकत्र करक रखा जाता है, ताकि मिट्टी की जल प्रतिधारण समता को और बढ़िया बनाया जा सके।

स्ट्रा मल्च

  • स्ट्रा सबसे बढ़िया मल्च सामग्रियों में से एक है और तूड़ी मल्च का उपयोग सबजी के पौधों की खेती में ज्यादा किया जाता है। 
  • कोई भी किसान चावल की तूड़ी और कनक की तूड़ी का उपयोग सब्जी की खेती के दौरान करके बढ़िया सब्जियों की फसल पा सकता है और मिट्टी की गुणवत्ता को भी सही रख सकता है।

लाइव मलचिंग

  • लाइव मल्चिंग प्रक्रिया के अंदर एक खेत में एक साथ कई तरह के पौधे लाए जाते हैं और यह सब पौधे एक दूसरे पौधे की बढ़वार में मदद करते हैं। 
  • उदाहरण के लिए काफ़ी और लौंग के पेड़ को बढ़ने के लिए पूरी सूरज की रोशनी की जरूरत होती है।

जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लाभ

  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती किसानों की लागत को घटाती है।
  • किसानों की आमदनी में इजाफा करती है।
  • अनाज शुद्ध मिलता है, जो सेहत के लिए अच्छा होता है।
  • जीर बजट खेती के तहत किसानों पर कर्ज का बोझ भी नहीं चढ़ता जिस कारण किसानों को आत्म हत्या के दायरे में भी कमी आई है।
  • कम बिजली और पानी के खर्च में ही खेती कर सकते हैं।
  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती मिट्टी की पैदावार में सुधार करती है।
  • जीरो बजट खेती में कम रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया जाता है। जिससे खेती की उत्पादन गुणवत्ता में सुधार होता है।

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