लहसुन की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी कब करें इसकी बुवाई ?

By : Tractorbird News Published on : 14-Oct-2024
लहसुन

लहसुन पूरे भारत में उगाया जाता है, लहसुन मुख्य रूप से मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लहसुन अयुर्वेदिक दवाओं में भी उपयोग किया जाता है, और एक प्रतिशत लहसुन का अर्क मच्छरों से 8 घंटे तक बचाता है। 

इसका उत्पादन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, इटावा, गुजरात के जामनगर, मध्य प्रदेश के इंदौर और मंदसौर में भी होता है। 

इसमें विटामिन सी और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है, इससे डाई एलाईल डाई सल्फाइड नामक तेल निकलता है। 

लहसुन की विशिष्ट गंध उसकी कीटनाशक गुणों से मिलती है। इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे। 

लहसुन की खेती के जलवायु और मिट्टी

लहसुन की खेती रबी मौसम में की जाती है, इसके लिए अधिक गर्मी या सर्दी की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए ठंडी जलवायु अच्छी है। 

लहसुन को बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी (pH 6–7) में भी लगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। 

लहसुन की किस्में

अधिक पैदावार पाने हेतु उन्नत किस्मों को ही उगाना चाहिए लहसुन की की उन्नत किस्मे निम्नलिखित हैं - जी.41, यमुना सफ़ेद या जी.1, यमुना सफ़ेद2 जी 50, यमुना सफ़ेद3 जी 282, पार्वती जी 32, जी 323, टी 56-4, गोदावरी, श्वेता, आई. सी. 49381, आई. सी.42889 एवं 42860 है। 

खेत की तैयारी

खेत को तैयार करने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जानी चाहिए. दो या तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करने के बाद, 50 क्वेंटल सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह से मिला दी जानी चाहिए।

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बीज और बीज उपचार

  • बीज के बुवाई करते समय दुरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। लहसुन रोपण की दूरी 15 सेंटीमीटर लाइन से लाइन और 10 सेंटीमीटर पौधे से पौधे तथा लहसुन की आकार 8 से 10 मिलीमीटर ब्यास वाले जवो की मात्रा लगभग 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर लगती हैI 
  • लहसुन की बुवाई से पहले बीज को 4 ग्राम ट्राईकोडर्मा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिए।

बुवाई का समय

लहसुन के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक बुवाई का सर्वोत्तम समय होता है। बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |

खाद और उर्वरक प्रबंधन

  • उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए फिर भी सामान्य दशा में 10 क्विंटल सड़ी गोबर की या कम्पोस्ट की खाद साथ ही 100 किलोग्राम नाइट्रोजन,50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिएI 
  • नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के दो दिन पहले बेसल ड्रेसिंग के रूप में तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद टापड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए। 

लहसुन को पानी कब दे ?

  • पहली सिंचाई 15 से 20 दिन बुवाई के बाद करनी चाहिए। वनस्पति वृद्धि के समय 7 से 8 दिन के अंतराल पर तथा जाड़ो के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए I 
  • गाँठे बनाते समय आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए तथा फसल परिपक्वता पर पहुचे तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। 

फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • लहसुन की अच्छी उपज और गुणवत्तायुक्त कंद प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार समय पर तथा आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए. इससे खेत साफ रहता है और खरपतवार न उगते हैं। 
  • बुवाई के एक दिन बाद अंकुरण से पहले 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर पेण्डामेथालीन और 0.25 किलोग्राम सक्रीय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर खेत में लगाएं। 

लहसुन की कटाई और उपज 

लहसुन की पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगे तो ये फसल परिपक्व होने के संकेत होते है। इसके बाद सिंचाई बंद कर देना चाहिए, और 15 से 20 दिन बाद जब खेत सुखकर कड़ा हो जाता है, तो बाद में खुदाई करनी चाहिए। 

बीज वाले लहसुन के कंदो को पत्तियों सहित हवादार कमरों में लटकाकर भंडारण किया जा सकता है।

लहसुन के कंदो की प्रति हेक्टेयर उपज किस्म और क्षेत्र के अनुसार 100 से 200 क्विंटल होती है; पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली एग्रीफाउंड प्रजाति 175 से 225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।


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