बरसीम की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 09-Oct-2023
बरसीम

बरसीम हरे चारों में अपने गुणों द्वारा दुधारू पशुओं के लिए प्रसिद्ध हैI उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में मक्का या धान के बाद रबी की फसल में बरसीम की खेती की जाती है बरसीम की खेती हरे चारे हेतु लगभग पूरे भारतवर्ष में की जाती है।

बरसीम की खेती के लिए उपयुक्त मौसम

बरसीम को रबी की फसलों के साथ उगाते हैं। इसके लिए गर्मी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए शरद ऋतु में ही इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश में की जाती हैI बरसीम की खेती के लिए दोमट तथा भारी दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं होती है।

बरसीम की मुख्य किस्में

बरसीम की मुख्य प्रजातियां इस प्रकार से हैं जैसे कि बरदान, मैस्कावी, बुंदेलखंड बरसीम जिसे जे.एच.पी.146 भी कहते हैं जे.एच.टी.वी.146, वी.एल.10, वी.एल. 2, वी.एल. 1, वी.एल. 22 एवं यु.पी.वी.110 तथा यु.पी.वी.103 है।

बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

खरीफ की फसल के बाद बरसीम की खेती हेतु पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करके खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए I बुवाई के लिए खेत को 4 मीटर गुणे 5 मीटर की क्यारियों में बाँट लेना चाहिएी

ये भी पढ़ें : Matar ki kheti - जानिए मटर की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

बीज दर और बीज उपचार 

बरसीम का बीज 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगता हैI चारा की उपज अधिक प्राप्त करने हेतु साथ में मिलाकर टाइप 9 सरसों चारे वाली का बीज एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बोते हैं I बरसीम में प्रायः कसनी का बीज मिला रहता है इसको निकालने हेतु 5 से 10 प्रतिशत नमक के घोल में मिश्रित बीज डाल देने से कसनी के बीज ऊपर आ जाते हैं उन्हें छानकर अलग कर लेना चाहिए I 

नमक के घोल से बीज को तुरंत निकालकर अलग कर लेना चाहिए जब बरसीम खेत में पहली बार बोई जा रही हो तो 10 किलोग्राम बीज को 200 ग्राम बरसीम कल्चर की दर से उपचारित कर लेना चाहिएI कल्चर न मिलाने पर बीज के बराबर मात्रा में पहले बोये गए खेत की मिट्टी मिला लेते हैंI मृदा उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करें तथा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीजोपचार भी करना चाहिएI

बरसीम की बुवाई का समय

बरसीम की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक करना ठीक रहता है देर से बोने पर कटाई की संख्या कम तथा उपज भी कम प्राप्त होती हैI खेत की 4 गुना 5 की तैयार क्यारियों में 5 सेंटीमीटर गहरा पानी भरकर उसके ऊपर शोधित बीज छिड़ककर बुवाई करते हैं बुवाई के 24 घंटे बाद पानी क्यारियों से निकाल देना चाहिए I जहाँ धान कटने के बाद बरसीम की बुवाई की जाती है वहाँ पर यदि धान कटने में यदि देर हो तो धान कटने से पहले 10 से 15 दिन पूर्व भी बरसीम को धान की खड़ी फसल में छिड़काव विधि से बुवाई करते हैं I

बरसीम में पोषण व्यवस्था 

बरसीम में नाइट्रोजन की मात्रा की आवश्यकता कम पड़ती हैI बरसीम हेतु 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़ककर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए इसके बाद क्यारी बनाकर पानी भरना चाहिए। 

सिंचाई प्रबंधन 

बरसीम में पहली सिंचाई बीज अंकुरित होने के तुरंत बाद करनी चाहिए बाद में प्रत्येक सप्ताह के अंतर पर दो-तीन सिंचाई करनी चाहिए इसके बाद अंत तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें तथा मार्च से मई तक 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। 

ये भी पढ़ें : उड़द की खेती कैसे की जाती है? बुवाई से कटाई तक पूरी जानकारी

फसल में खरपतवार प्रबंधन 

बरसीम में निराई गुड़ाई की आवश्यकता कम पड़ती है तथा खरपतवार के साथ-साथ कासनी जमती है तो उसे खरपतवार के साथ ही उखाड़कर अलग कर देना चाहिएI खरपतवार एवं कासनी उखाड़ने के बाद पानी लगाना चाहिए I

बरसीम की कटाई 

बरसीम में कुल चार-पांच कटाइयाँ होती हैंI बरसीम का फोलियेज जिसे हम हरा तना कहते हैं 6 से 8 सेंटीमीटर के ऊपर से कटना चाहिएI पहली कटाई बोने के 45 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद कटाई दिसम्बर एवं जनवरी में 30 से 35 दिन बाद करते हैं तथा फरवरी में 20 से 25 दिन बाद कटाई करते हैं इस प्रकार कुल 4 से 5 कटाई केवल चारा प्राप्त करने हेतु की जाती हैI

बरसीम का बीज उत्पादन

इसमे दो तरह से उपज प्राप्त होती है एक तो हरा चारा दूसरा बीज उत्पादन परिस्थिति के आधार पर प्राप्त होता हैI हरा चारा बिना बीज उत्पादन के 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता हैI बीजोत्पादन पर हरा चारा 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं बीज दो से तीन क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है। 

बरसीम की दो-तीन कटाई के बाद कटाई बंद कर दी जाती हैI फरवरी का अंतिम या मार्च का प्रथम सप्ताह उपयुक्त होता हैI अंतिम कटाई के 10-15 दिन तक कटाई रोक देना चाहिए। अधिक कटाई करने पर बीज की उपज कम एवं बीज कमजोर प्राप्त होता है।




Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts

Ad