पान की इस किस्म की खेती कर देगी आपको मालामाल

By : Tractorbird News Published on : 14-Jul-2023
पान

भारतीय संस्कृति में पान का (betel leaves) बहुत महत्व है। पान के पत्तों को बहुत शुभ माना जाता है जिसके कारण इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ और शादी विवाह के मौके पर जरूर किया जाता है। आप जब किसी शादी में जाते होंगे तो पान का एक स्टॉल जरूर मिलता होगा। वहीं, घर में आपने दादी-नानी को पान खाते हुए भी देखा होगा। असल में इसको खाने के कई स्वास्थ्य फायदे भी हैं, जैसे- सर्दी-जुकाम और सिर दर्द से राहत दिलाता है।

भारत में इसकी खेती कई स्थानों पर की जाती है। आज कल बाजार में पान की अच्छी खासी मांग होने से किसान भी इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे है। हमारे इस लेख में हम पान की एक ऐसी किस्म की बात करने वाले है जिसकी खेती करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े। 

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पान की खेती से जुड़ी जानकारी 

  • भारत में कई किस्मों के पान के पत्तों की खेती होती है। इसमें मसाला पान, बनारसी पान, कलकत्ता पान प्रमुख हैं। इन पत्तों का उपयोग खाने के अलावा धार्मिक आयोजनों में भी होता है। पान के पत्ते को कत्था, चूना, शहद और सुपारी लगाकर खाया जाता है | पान से निकली लार से पाचन शक्ति मजबूत होती है, और शरीर भी स्वस्थ रहता है | 
  • इनके आलावा नागवेली पान किस्म की खेती आज कल बहुत चर्चा में है। इस किस्म के पान की खेती कर के किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है। महाराष्ट्र के सांगली में पान की एक किस्म की खेती कर किसान अपनी किस्मत बदल रहे हैं। 
  • नागवेली पान के पत्ते अपने औषधीय गुण के चलते लोकप्रिय है। इस पान का कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। जिस कारण से आज कल नागवेली पान के पत्तों का व्यवसायिक महत्व भी बढ़ता जा रहा है। 
  • नागवेली पान के पत्तों का निर्यात देश के अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। नागवेली पान के पत्तों का बाजार पूरे देश में उपलब्ध है. यहां रेट व्यापारी नहीं बल्कि किसान तय कर सकता है। इन पत्तों की डिमांड इतनी है कि इन्हें खुद व्यापारी किसानों के पास जा कर खरीद रहे है। 

पान की खेती कैसे की जाती है?

पान की खेती लता (बेल) पौधों के रूप में की जाती है | इसके पौधों में निकलने वाली बेल कई वर्षो तक पैदावार दे देती है। भारत में तमिलनाडु, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के निकटवर्ती क्षेत्रों मे इसकी खेती की जाती है। 

पान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु 

पान की खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए काली मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है। इसकी खेती के लिए जल भराव वाली भूमि उपयुक्त नहीं मानी जाती है। जलभराव में पौधे की जड़े गलकर नष्ट हो जाती है।

इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती आद्र और नम जलवायु में की जाती है। वर्षा ऋतु में इसके पौधे का विकास जल्दी होता है, तथा ग्राम और तेज़ हवाएं इसके पौधों को नुकसान पहुँचाती है। पान के पौधों को न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। 

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बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

  • बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए। इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है, जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे। 
  • खेत की पहली जुताई के बाद खेत में गली सड़ी गोबर की खाद 5 टन के हिसाब से डालकर दो से तीन गहरी जुताई कर दें, इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है। गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाने के पश्चात उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है।
  • पलेवा के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सुखी दिखाई देने लगती है, उस समय रोटावेटर या हैरो से जुताई करे जिससे की खेत की मिट्टी भुरभरी हो जाये, इसके बाद खेत की मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा लगाए। 

बरेजा का निर्माण

इसमें एक मीटर की दुरी पर पंक्ति के रूप में बास की लकड़ी और पुवाल सामग्री की आवश्यकता होती है। इसमें एक मीटर की दूरी पर पंक्ति के रूप बास की लकड़ियों को लगा दिया जाता है। इन पंक्तियों के माध्यम दो मीटर की दुरी रखना बहुत आवश्यक है। 

पंक्तियों में लगाई गयी बांस की लकड़ियों पर ढाई से तीन मीटर की ऊंचाई पर बांस की चपटियों को बांधकर उस पर पुवाल बिछा दिया जाता है, और उसके बाद इस पुवाल को बांस की चपटियों के साथ रस्सी से बांध दिया जाता है। 

रोपण सामग्री की तैयारी 

पान के पौधों की रोपाई कलम से तैयार पौधों के रूप में की जाती है। कलम को तैयार करने के लिए एक वर्ष पुराने पौधों को चुना जाता है। इसके बाद इन बेलो को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है, किन्तु तैयार कलम को खेत में लगाना अच्छा माना जाता है | 

पान की कलम को खेत में लगाने से पूर्व उन्हें बोर्डों मिश्रण या ब्लाइटाक्स की 0.25 मात्रा से कलम और मिट्टी दोनों को ही उपचारित कर लिया जाता है | इसके बाद कलम को खेत में लगा दिया जाता है, जिसमे बेल की दो तीन गांठ मिट्टी में दबा दी जाती है, और बाकि का सम्पूर्ण भाग बाहर रहता है |

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कलम की रोपाई 

पान के बेल की रोपाई खेत में तैयार पंक्तियो में की जाती है | इसके लिए तैयार पंक्ति के दोनों और बेलो को लगा दिया जाता है, तथा प्रत्येक बेल के मध्य 15 से 20 CM की दूरी रखी जाती है | इसके अतिरिक्त यदि आप बेल को सीधा खेत में लगा रहे है, तो उसके लिए आपको भूमि पर बेलो को 4 से 5 CM गहराई में लगाना होता है। 

पत्तो की तुड़ाई

जब पान के पौधों में लगे पत्ते चमकदार और कड़कदार दिखाई देने लगे उस दौरान इसके पत्तो की तुड़ाई कर ली जाती है | पत्तो की तुड़ाई के समय उन्हें डंठल सहित तोड़ना होता है, इससे पत्ता अधिक समय तक ताज़ा रहता है| 

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