कीवी की खेती (kiwi farming) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
By : Tractorbird News Published on : 27-Nov-2024
कीवी फल (kiwi fruit) आज एक अत्यधिक लोकप्रिय और महंगा फल है। इसका अनूठा स्वाद और चमकदार हरी त्वचा इसे खास बनाते हैं।
दुनिया भर के किसान इसे एक लाभदायक फसल के रूप में उगाते हैं।
कीवी का उत्पादन प्रमुख रूप से न्यूजीलैंड, इटली, अमेरिका, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, चिली और स्पेन जैसे देशों में होता है। भारत में भी अब इसकी खेती तेजी से बढ़ रही है।
कीवी फल के लाभ
कीवी को "चाइनीज गूसबेरी" भी कहा जाता है, और इसका वैज्ञानिक नाम *Actinidia deliciosa* है।
यह फल पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर है, जिसमें विटामिन बी, विटामिन सी, फॉस्फोरस, पोटैशियम और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
इसका उपयोग ताजे फल, सलाद, डेसर्ट, स्क्वैश और वाइन बनाने में होता है।
भारत में कीवी की खेती (kiwi farming in india)
- भारत में मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और केरल की पहाड़ियों में कीवी की खेती होती है।
- यह नई फसल है, इसलिए उत्पादन और क्षेत्रफल का आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं है।
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कीवी की खेती के लिए जलवायु आवश्यकताएं
- सर्दियों में तापमान 7°C से नीचे रहना चाहिए।
- समुद्र तल से 8001500 मीटर की ऊंचाई पर खेती उपयुक्त है।
- 150 सेमी सालाना औसत वर्षा और गर्मियों में कम आर्द्रता इसकी खेती के लिए अनुकूल हैं।
मिट्टी की आवश्यकताएं
- गहरी, उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।
- मिट्टी का पीएच स्तर 6.9 के करीब होना चाहिए। 7.3 से अधिक पीएच पर उपज प्रभावित होती है।
भारत में कीवी की उन्नत किस्में
भारत में खेती के लिए एबट, एलिसन, ब्रूनो, हेवर्ड, मोंटी और टोमुरी जैसी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं।
पौध रोपण और भूमि की तैयारी
- ढलान वाली भूमि को सीढ़ीदार बनाकर तैयार किया जाता है। पौधों की पंक्तियां उत्तरदक्षिण दिशा में लगाई जाती हैं।
- दिसंबर तक गड्ढों में गोबर खाद डालकर मिट्टी तैयार कर ली जाती है। जनवरी में पौधों को नर्सरी से लाकर रोपण किया जाता है।
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खाद और उर्वरक प्रबंधन
- प्रति पौधा हर साल 20 किग्रा गोबर खाद और 0.5 किग्रा एनपीके मिश्रण देना चाहिए।
- पांच साल बाद 850900 ग्राम नाइट्रोजन, 500600 ग्राम फॉस्फोरस और 800900 ग्राम पोटाश का उपयोग करना लाभदायक है।
सिंचाई प्रबंधन
- सिंचाई मुख्यतः सितंबरअक्टूबर में फलों के विकास के समय की जाती है।
- हर 1015 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना लाभकारी होता है।
फलों की तुड़ाई
- बेलों में फल 45 साल बाद आना शुरू होते हैं।
- 78 साल की उम्र में पौधे अधिक उपज देते हैं।
- फलों की तुड़ाई ऊंचाई के आधार पर क्रमिक रूप से होती है, पहले नीचे के और बाद में ऊंचाई के फलों को तोड़ा जाता है।