आज के इस आधुनिक युग में जहां हर क्षेत्र में नई तकनिकी का आगमन हो रहा है वही कृषि क्षेत्र में भी नई-नई कृषि की तकनीके किसानों के लिए विकसित की जा रही है। आधुनिक तकनीकों की मदद से खेती की उत्पादकता में तो वृद्धि होती ही है साथ ही किसानों का कार्य भी आसानी से और कम समय में हो जाता है।
हीड्रोपोनिक्स तकनीक भी किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। हमारे इस लेख में हम आपको इस खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का आविष्कार 1937 में, विलियम फ्रेडरिक गेरिक द्वारा किया गया था। उन्होंने अपने घर पर एक बार बगीचे में खनिज पोषक घोल में लगभग 7.6 मीटर ऊंची टमाटर की लताएँ उगाईं।
बर्कले, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में काम करते हुए उन्होंने मिट्टी के बजाय पानी और पोषक तत्वों के घोल में पौधे उगाने के इस विचार को लोकप्रिय बनाया। इसलिए उन्हें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का जनक माना जाता है।
आइये अब जान लेते है की Hydroponics farming होती क्या है? हाइड्रोपोनिक खेती या फार्मिंग एक प्रकार की खेती है जिसमे पौधों को मिट्टी रहित मीडिया यानि की आवश्यक पोषक तत्वों के घोल में उगाया जाता है।
हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर बागवानी फसलों के लिए किया जाता है। हाइड्रोपोनिक्स पौधों को आवश्यक पोषक तत्व जैसे की नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम तरल रूप में प्रदान किए जाते है।
जिससे की पौधे की वृद्धि होती है, तरल मिनरल सॉल्ट्स या घोल समुद्री शैवाल के अन्य जैविक सामग्रियों के मिश्रण से बनाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों के घोल को या तो पौधों की जड़ो में रासायनिक प्रवाह के रूप में दिया जाता है या पोषक तत्वों के घोल को टपक सिंचाई के रूप में पौधों में दिया जाता है।
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आज के समय में हाइड्रोपोनिक्स खेती भारत में भी प्रचलन में आ गई है। इस तकनीक के जरिये कई किसान बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
भारत हाइड्रोपोनिक्स खेती अपनी दक्षता और उच्च पैदावार की क्षमता के कारण काफी लोकप्रियता हासिल की है। भारत में इस तकनीक का उपयोग सूखे तथा रेगिस्तानी क्षेत्रों में किया जा सकता है जहां पर खेती या बागवानी करना असंभव होता है।
इस तकनीक में पोषक तत्वों का इस्तमाल भी नियंत्रित रूप में होता है। इससे किसी भी फसल को आसानी से उगाया जा सकता है। इस खेती की विधि में न ही निराई और जुताई कीआवश्यकता होती है, इससे किसान अच्छा खासा मुनाफा आसानी से कमा सकते है।
हाइड्रोपोनिक्स खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए सबसे लाभदायक फसलों का चुनाव बहुत मत्वपूर्ण होता है। यदि आप भी हाइड्रोपोनिक खेती में उद्यम करना चाहते हैं और सबसे अधिक लाभदायक फसलें उगाना चाहते हैं, तो विचार करने के लिए कई आवश्यक कारक हैं।
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हाइड्रोपोनिक फसलें उगाना शुरू करने से पहले ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें यहां दी गई हैं:
1. पौधों का चयन
आप को उन्ही फसलों का चुनाव करना है जिनकी बाजार में अधिक माँग और मूल्य है। विकास दर, प्रति इकाई क्षेत्र उपज और हाइड्रोपोनिक प्रणालियों के लिए फसल की उपयुक्तता पर विचार करें।
कुछ हाइड्रोपोनिक तकनीक में खेती के लिए टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, ब्लूबेरी, सलाद, स्ट्रॉबेरी और पालक आदि फसले शामिल है।
2. स्वास्थ्य और गुणवत्ता
रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करके और सबसे अच्छी विकास परिस्थितियों को बनाए रखते हुए अपने पौधों की रक्षा करें। स्वस्थ पौधे अधिक उपज देते हैं और अधिक मूल्यवान होते हैं।
3. स्थान का चयन
हाइड्रोपोनिक तकनीक वाली खेती के लिए पारंपरिक खेती की तुलना में कम स्थान की आवश्यकता होती है। ऐसी फसलों का चुनाव करे जिन्हें उपलब्ध स्थान का अधिकतम उपयोग करते हुए लंबवत या कॉम्पैक्ट सिस्टम में उगाया जा सके।
हाइड्रोपोनिक सिस्टम नियंत्रित वातावरण में होता है, इसलिए पर्याप्त रोशनी प्रदान करना बहुत आवश्यक है, रोशनी के लिए सेटअप ऐसे रखें जहाँ पौधों को इष्टतम प्राकृतिक सूर्य का प्रकाश मिल सके।
4. पोषक तत्व प्रबंधन और जल गुणवत्ता
विकास के लिए हाइड्रोपोनिक फसलें पोषक तत्वों के समाधान पर निर्भर करती हैं। पौधों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली अधिकता या कमी से बचने के लिए पोषक तत्वों का स्तर उचित रूप से संतुलित करें।
हाइड्रोपोनिक्स का आधार जल है। सुनिश्चित करें कि आपका जल स्रोत पौधों के विकास के लिए उपयुक्त है और प्रदूषकों से मुक्त है।
5. फार्म प्रबंधन
हाइड्रोपोनिक प्रणालियों का नियमित रखरखाव और निरीक्षण आवश्यक है। सिस्टम की सफाई, कीट नियंत्रण और पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए एक योजना बनाएँ।
इन सभी बातों का ध्यान रखे जिससे की आप हाइड्रोपोनिक तकनीक से अच्छा मुनाफा कमा सके। याद रखें कि प्रत्येक फसल की अपनी विशिष्ट आवश्यकताएं हैं, इन सबकी अच्छी जानकारी होने के बाद आप सफल हाइड्रोपोनिक खेती कर सकेंगे।