गेहूं और सरसों की फसल के लिए मौसम विभाग की तरफ से जारी की गयी एडवाइजरी

By : Tractorbird News Published on : 17-Feb-2024
गेहूं

मौसम में निरंतर परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जिससे की फसलों पर पूरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। रबी की फसलें इस समय पुष्पन अवस्था में है 

इस समय फसलों में कई रोगों के प्रकोप का समय भी है जिनका समय रहते उपचार नहीं किया जाये तो उपज पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 

इस लेख में हम आपको मौसम विभाग से किसानों के लिए जारी की गयी एडवाइजरी के बारे में जानकारी देंगे।

गेहूं की फसल के लिए एडवाइजरी 

  • शुष्क मौसम की संभावना के कारण फसल की आवश्यकता के अनुसार किसान गेहूं में सिंचाई एवं उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं। 
  • किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत की नियमित निगरानी करते रहें क्योंकि यह मौसम गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के  विकास के लिए भी अनुकूल है। पौधों का रंग पीला हो जाता है जो जिंक की कमी के लक्षण दर्शाता है। 
  • अगर फसल में जिंक की कमी दिखाई देती है तो 0.5% जिंक सल्फेट + 2.5% यूरिया या 0.25% बुझे हुए चूने में मिलाकर छिड़काव करें। 
  • किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे तीसरी और चौथी पत्ती पर 0.5% जिंक सल्फेट के साथ 2.5% यूरिया का छिड़काव करें। 
  • गेहूं की फसल में  जंगली पालक सहित सभी चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, मेटसल्फ्यूरॉन (एल्ग्रिप जी.पा या जी. ग्रैन) का 8.0 ग्राम (उत्पाद + सहायक) प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।हवा बंद होने पर फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करके 200-250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

ये भी पढ़ें : गेहूं की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान भाइयों के लिए सलाह

सरसों की फसल के लिए एडवाइजरी 

  • अगर इस समय आप सरसों की फसल में सिंचाई करते हैं तो सिंचाई के दौरान पतला पानी ही खेती में दें और खेत में पानी जमा न होने दें
  • किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत की नियमित निगरानी करते रहें क्योंकि यह मौसम सफेद रतुआ रोग के विकास और सरसों में एफिड के प्रकोप के लिए अनुकूल है।
  • अगर कोई पौधा इससे संक्रमित दिखाई देता है तो घटना की प्रारंभिक अवस्था में नष्ट कर दें।
  • जिन क्षेत्रों में तना सड़न रोग हर साल होता है, वहां 0.1% की दर से कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करना चाहिए।
  • किसान भाई अपने खेतों की लगातार निगरानी करते रहें। जब यह पुष्टि हो जाए कि सफेद रतुआ रोग ने खेतों में दस्तक दे दी है 
  • तो  250-300 लीटर पानी में 600-800 ग्राम मैन्कोजेब (डाइथेन एम-45) मिलाएं और 15 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ 2-3 बार छिड़काव करें।

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