टमाटर दुनिया भर में उगाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। भारत में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। टमाटर की खेती एक व्वसाय के रूप में स्थान रखती है I इसका सब्जी उत्पादन में विशेष योगदान है I टमाटर में लाल रंग पाये जाने वाला तत्व लाइकोपिन औषधीय गुण के लिए होता है। टमाटर की खेती पूरे भारत वर्ष में की जाती है।
इसमे विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। इसे सार्वभौमिक रूप से 'सुरक्षात्मक भोजन' कैल्शियम, सोडियम, तांबा, विटामिन ए, बी और सी जैसे खनिजों का समृद्ध स्रोत माना जाता है। टमाटर का सेवन सीधे सैंडविच, सलाद में कच्ची सब्जी के रूप में किया जाता है।
टमाटर की खेती के लिए तापमान 20-28 डिग्री होना आवश्यक है। अधिक गर्मी को भी टमाटर की फसल से नुकसान होता है। इसे भरपूर मात्रा में उगाने के लिए अपेक्षाकृत लंबे मौसम की आवश्यकता होती है। टमाटर की फसल पाले के प्रति संवेदनशील होती है।
टमाटर की खेती उपजाऊ बालुई दोमट एवं दोमट भूमि में सफलता पूर्वक की जा सकती है I भूमि में जल निकास होना अति आवश्यक हैI टमाटर की खेती लगभग पूरे वर्ष में की जा सकती है। रबी में लगायी जाने वाली फसल की पैदावार अच्छी होती है।
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टमाटर की दो प्रकार की किस्में होती है। एक तो देशी टमाटर की किस्म होती है और दूसरी संकर किस्म यानि की हाइब्रिड किस्में। देशी टमाटर की खेती से भी अच्छी पैदावार होती है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। टमाटर की किस्में निम्नलिखित है -
देशी टमाटर की खेती के लिए देशी किस्में हिसार अरुण, पंजाब छुहारा, अर्का विकास, अर्का सौरभ, काशी अमृत, पन्त टमाटर-3, कल्यानपुर टाइप-3, आजाद टी-5, आजाद टी-6, काशी, पूसा अर्ली, काशी अनुपम इत्यादि हैं।
इसमे दो तरह की किस्में होती हैं, एक सीमित बढवार वाली, दूसरी असीमित बढवार वाली सबसे पहले हम सीमित बढवार वाली प्रजातियाँ बताना चाहेंगे रश्मी, रुपाली, अजन्ता पूसा हाइब्रिड 2, मंगला, वैशाली, मैत्री, अविनाश 22, स्वर्ण वैभव एव् ऋषिI दूसरे प्रकार की असीमित बढवार वाली प्रजातियाँ जैसे नवीन सोनाली, लैरिका, रत्ना, आदिI तीसरे प्रकार की रोग अवरोधी प्रजातियाँ होती है जैसे मोहनी, रत्ना, मिनाक्षी, मैत्री, मेनिका, ऋषि आदि है।
Tamatar ki kheti के लिए खेत की तैयारी अच्छे से कर लेनी चाहिए। सबसे पहले टमाटर की रोपाई के लिए खेत को अच्छी तरह जुताई करके भुरभुरा बना लें बाद में क्यारियां बना लेनी चाहिए। प्लाव से खेत की पहले एक गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। बाद में खेत को हैरो या कल्टीवेटर की मदद से जोतना चाहिए।
अन्तिम जुताई में 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट खाद को खेत में अच्छी तरह से मिला देना चाहिएI अच्छी पैदावार के लिए तत्व के रूप में 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, एवं 80 किलो पोटाश की मात्रा देनी चाहिएI नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय अन्तिम जुताई में मिला देना चाहिएI
देशी टमाटर की खेती के लिए देशी किस्मों की उन्नतशील बीज दर 200 से 150 ग्राम प्रति एकड़ है और संकर प्रजातियों में 80 से 100 ग्राम प्रति एकड़ आवश्यकता होती है। Tamatar ki kheti के लिए बीजों को बुवाई से पहले 2 ग्राम थीरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलो ग्राम बीज को उपचारित करने के पश्चात बुवाई करनी चाहिए I जब पौधे एक सप्ताह के लगभग हो जाए तब डाइथेन एम् 45 या वैविसटीन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए।
Tamatar ki kheti के लिए पहले नर्सरी में पौध तैयार करनी पड़ती है। स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए भूमि तैयार होने पर 0.75 मीटर चौड़ी तथा आवश्यकता अनुसार 5 से 10 मीटर लम्बी और 15 से 20 सेंटी मीटर ऊँची क्यारियां बना लेना चाहिएI
पौध डालने से पहले 5 किलो सड़ी गोबर की खाद प्रति क्यारी, 40 ग्राम डी. ए. पी., 10 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश तथा 5 ग्राम यूरिया प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से डालना चाहिए I बीज को 3 ग्राम फूराडान 10 ग्राम थीमेट से प्रति लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 3 से 4 दिन पहले क्यारियों में छिडकाव करने से हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
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Tamatar ke khet में समय के अनुसार रोपाई की जाती है I वर्षा ऋतू में जून जुलाई में पौध डालकर जुलाई अगस्त में रोपाई की जाती है I जाड़े की फसल में सितम्बर में पौध लगा कर अक्टूबर में रोपाई की जाती है I टमाटर की खेती में जायद की फसल 15 जनवरी से 15 फरवरी तक पौध तैयार करके 15 फरवरी से 15 मार्च तक रोपाई की जाती है I
रोपाई लाइन से लाइन तथा पौध से पौध की दूरी में करनी चाहिए सीमित बढवार वाली फसलें 60 सेन्टी मीटर लाइन से लाइन 45 सेन्टी मीटर पौध से पौध की दूरी रखनी चाहिए I असीमित बढवार वाली फसलों में 75 सेन्टी मीटर लाइन से लाइन और 50 सेन्टी मीटर पौध से पौध की दूरी रखनी चाहिए I पौध की रोपाई शाम 3 बजे के बाद करनी चाहिए जिससे की रात में पौध सेट हो जाए।
Tamatar ki kheti में पौध रोपाई के बाद तुरन्त बाद ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए I बाद में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। टमाटर के पौधों को विकास की पूरी अवधि के दौरान पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। टमाटर में फ्लड सिंचाई सबसे सामान्य है। सिंचाई की आवृत्ति जलवायु और मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करती है।
फूल आने पर पानी का तनाव चरण फलन और उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। Tamatar ki kheti में लंबे समय तक सूखा पड़ने के बाद सिंचाई करने से फल फटने लगते हैं। इसी प्रकार, नियमित सिंचाई के बाद शुष्क मौसम में फूल खिलते हैं। अंत सड़ांध पानी वाले क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई आमतोर पर की जाती है।
देशी टमाटर की खेती में देशी किस्मों में तुड़ाई बुवाई से 90 से 100 दिन में शुरू की जाती है। हूब्रिड किस्मों में तुड़ाई 70 से 80 दिन बाद शुरू हो जाती है। देशी टमाटर की खेती करने से पैदावार 120 से 150 क्विंटल प्रति एकड़ होती। संकर हाइब्रिड किस्मों की पैदावार 250 से 600 क्विंटल पैदावार प्रति हैक्टर होती है।