दोस्तों जब drip irrigation system में पानी के साथ साथ fertilizer, कीटनाशक और अन्य water soluble Chemicals को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो इसे fertigation बोलते है। fertigation के इस्तेमाल से पानी के साथ रासायनिक उर्वरकों की अधिक मात्रा में बचत होती है और रसायन और उर्वरकों का पौधे द्वारा पूरी मात्रा में उपयोग किया जाता है।
फर्टिगेशन दो शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है फर्टिलाइजर अर्थात उर्वरक और इर्रिगेशन अर्थात सिंचाई उर्वरकों को सिंचाई जल में मिश्रित कर उर्वरक अंतः क्षेपक यंत्र की सहायता से ड्रिपरों द्वारा सीधे पौधों तक पंहुचाया जा सकता है। फर्टिगेशन उर्वरक देने की सर्वोत्तम तथा अत्याधुनिक विधि है।
फर्टिगेशन को फसल एवं मृदा की आवश्यकताओं के अनुरूप उर्वरक व् पानी का समुचित स्तर बनाए रखने के लिए अच्छी तकनीक के रूप में जाना जाता है। फर्टिगेशन द्वारा उर्वरकों को कम मात्रा में जल्दी जल्दी और कम अंतराल पर सिचाई के साथ दे सकते है।
फर्टिगेशन के इस्तेमाल से उर्वरक पानी के साथ सीधे पौधे की जड़ो में दिए जाते है, जिससे पौधे द्वारा सम्पूर्ण पोषक तत्वों का इस्तेमाल होता है।
ये भी पढ़ें: हल्दी की खेती कैसे की जाती है
फर्टिगेशन में ज्यादातर तरल उर्वरकों और रसायन का प्रयोग करते है, दानेदार और सूखे उर्वरकों को भी फर्टिगेशन के माध्यम से फसलों में दिया जा सकता है।
दानेदार और सूखे उर्वरकों को देने से पहले ये ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि पहले उर्वरक को बाल्टी में पानी ले कर उसमे घोल बना ले जिससे की फर्टिगेशन के माध्यम से उर्वरक पौधे की जड़ो में आसानी से जा सके। उर्वरकों के घोल को डालने से पहले छान लेना चाहिए।
फर्टिगेशन के माध्यम से दिए जाने वाले उर्वरक पानी में घुलनशील होने चाहिए जिससे की वे आसानी से पौधों की जड़ो में जा सकें। यूरिया और पोटाश जैसे कई उर्वरक पानी में घुलनशील है, बाजार में ये उर्वरक तरल रूप में आसानी से उपलब्ध है। किसान फॉस्फोरस पोषक तत्व के लिए उन उर्वरक को काम में ले जिनमें फॉस्फोरस का स्वरूप फास्फोरिक एसिड में हो क्योंकि ये तरल रूप में बाजार में उपलब्ध होते है। Fe, Mn, Cu, B, Mo पौषक तत्वों को भी फर्टिगेशन के माध्यम से पानी में दिया जा सकता है।
ये भी पढ़ें: अमरुद के प्रमुख रोग और कीटों का नियंत्रण