भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत के अधिकतर किसान मुख्य रूप से पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं जिससे उनको ज्यादा मुनाफा नहीं होता है।देश के कई किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की मुनाफे वाली फसलों की खेती कर रहे हैं। सरकार भी व्यापारिक फसलों की खेती करने के लिए किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित करती रहती है।
इसकी कड़ी में आगे बढ़ते हुए आज हम एक ऐसी व्यापारिक फसल की बात करने वाले हैं। जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आज कल चिया सीड्स की डिमांड मार्किट में बहुत बढ़ रही है इसकी खेती से आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं। चिया सीड्स एक प्रकार का सुपर फूड है। भारत में सुपर फूड्स (Super Foods) की मांग और खपत में लगातार वृद्धि हो रही है।
भारत में चिया के बीज 1 किलो कीमत बहुत ज्यादा है जिससे की आप इसे बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पहले इसकी खेती अमेरिका में की जाती थी, भारत में लगातार इसकी डिमांड में वृद्धि के कारण आज कल इसकी खेती यहां भी की जाने लगी है। आज की इस पोस्ट के माध्यम से आप चिया सीड्स की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में जानेंगे।
इसमें बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसी कारण से लगातार इसकी मांग में वृद्धि हो रही है। इसमें कई प्रकार के विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। चिया सीड्स में ओमेगा फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त चिया सीड्स का सेवन शरीर व् दिल की बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। विदेशों में इसे सुपर फ़ूड कहते हैं क्योंकि इसके सेवन से शरीर में शक्ति आती है।
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चिया सीड्स की खेती रबी के मौसम में की जाती है। ठंडी जलवायु में इसकी खेती की जा सकती है। इसकी खेती ठंडे पहाड़ी इलाकों में नहीं की जा सकती है। अक्टूबर और नवम्बर माह में इसकी बुवाई करना उचित माना जाता है।
चिया सीड्स की बुवाई के लिए मिट्टी
इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन हल्की भुरभुरी और उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी में इसकी उपज अच्छी प्राप्त होती है। जिस खेत में इसकी खेती की जाए उस खेत में उचित जल निकासी की आवश्यकता होनी चाहिए।
चिया सीड्स की बुवाई के लिए खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए। सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए बाद में हैरो या कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 जुताई करके खेत को तैयार कर लेना चाहिए। बाद में सुवहागा लगा कर खेत को समतल कर लेना चाहिए। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए खेत में नमी होना बहुत आवश्यक है। अगर खेत में नमी नहीं है तो खेत में पलेव करके बुवाई करना सबसे उचित होता है।
चिया सीड्स के बीजों की बुवाई करने के लिए छिड़काव विधि का इस्तेमाल किया जाता है। पहले बीजों को पुरे खेत में हाथ से छिड़का जाता है। अगर बुवाई के समय नमी की मात्रा कम है , तो लाइनों में बुवाई करनी चाहिए। भारत में चिया के 1 किलो बीज की कीमत भी काफी अधिक है। चिया सीड्स की बुवाई 30 सेंटीमीटर की दूरी पर 1.5 सेमी की गहराई में की जाती है। एक एकड़ में बुवाई के लिए तक़रीबन 1 से 1.5 किलोग्राम बीज काफी होता है।
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बीज की बुवाई से पहले कैप्टान या थीरम फफूंदनाशक की 2.5 ग्राम की मात्रा से एक किलोग्राम बीज को उपचारित कर लेना चाहिए जिससे बीजों को जड़ गलन जैसे रोगों से बचाया जा सके। अक्टूबर और नवम्बर माह में इसकी बुवाई करना उचित माना जाता है।
चिया सीड्स की खेती में खाद और उर्वरक प्रबंधन
चिया की खेती करने के लिए मिट्टी भूमि में पोषक तत्वों की कमी को जानने के लिए मिट्टी का परीक्षण जरूर करवाए। मिट्टी परीक्षण के रिपोर्ट के हिसाब से खेत में खाद और उर्वरको का इस्तेमाल करना चाहिए। आखरी जुताई करने से पहले खेत में 10 टन सड़ी गोबर की खाद डाले, अगर गोबर की खाद उपलब्ध नहीं हो तो वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा प्रति एकड़ के खेत में 40:20:15 के अनुपात में सामान्य उवर्रक वाली N.P.K. की मात्रा का छिड़काव करें। नाइट्रोजन की मात्रा दो बराबर भागों में बुआई से 30 व 60 दिन के अंतर पर खड़ी फसल में सिंचाई के साथ डालना चाहिए। इसके बाद बुवाई के 30 से 60 दिन बाद नाइट्रोजन की दो बराबर मात्रा का छिड़काव सिंचाई करने के बाद इसकी खड़ी फसल पर करना होता है।
इस फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसका पौधा कमजोर होता है और अधिक पानी लगाने से ये टूट कर गिर सकता है। जिस खेत में इसकी खेती करें उस खेत में जल भराव न होने दे बुवाई से पहले ही जल निकासी का इंतज़ाम कर लें।
अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए फसल को खरपतवार मुक्त रखना बहुत आवश्यक है। अगर खेत में अधिक खरपतवार होंगे तो फसल के साथ हर चीज के लिए प्रतस्पर्धा करेंगे।
फसल में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए समय पर निराई गुड़ाई करना बहुत आवश्यक है। बीज की बुवाई करने के 30 से 40 दिन बाद फसल में निराई गुड़ाई करना बहुत आवश्यक होता है। पहले और दूसरी निराई गुड़ाई के बीच 30 दिनों का अंतराल रखें।
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बुवाई के 110 से 115 दिन बाद फसल पक कर तैयार हो जाती है। फसल के पकने के बाद फसल की कटाई की जाती है, तथा 5 से 6 दिन तक पौधों को ठीक से धूप में अच्छी तरह से सूखा लेते हैं। पौधों के अच्छी तरह से सूखने के बाद थ्रेशर की मदद से पौधों से बीज को अलग किया जाता है। एक एकड़ की अच्छी फसल से 5 से 6 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो जाता है।
भारत में चिया के 1 किलो बीज की कीमत भी काफी अधिक है जिससे कि आपकी फसल अच्छे दामों पर बिकेगी और आपको अच्छा मुनाफा होगा। चिया के बीजों की बाज़ार में कीमत लगभग 1 हज़ार रुपए प्रति किलो तक की होती है, जिससे किसान भाई इसकी एक एकड़ की फसल से 5 से 6 लाख रुपए तक का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
ट्रैक्टर बर्ड के इस लेख में आपने चिया सीड्स कि खेती के बारे में जाना। अगर आप किसी भी कंपनी के ट्रैक्टर और उपकरण के बारे में जानकारी चाहते हैं तो आप ट्रैक्टर बर्ड पर विजिट कर सकते हैं।