/* */

कैसे और कहाँ करा सकते है मृदा परीक्षण, पढ़े सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 14-Mar-2023
कैसे

किसान भाइयों जैसा की आप जानते है आज कल की खेती गहन कृषि विधियों पर आधारित है। इसके अंतर्गत साल भर में उसी भूमि में दो या दो से अधिक फसल लेते रहने से पोषक तत्वों की बड़ी तेजी से भूमि में कमी होती जा रही है। किसान भाइयों आपको पता भी नहीं चलता की आपकी भूमि में कौन - कौन से पोषक तत्वों की कमी है। 

इसके लिए मिट्टी परीक्षण के द्वारा मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा का पता करना तथा उसी के अनुसार फसलों में पोषक तत्वों का समुचित प्रबंधन करना संभव है। साथ ही साथ मृदा के विभिन्न विकारों का पता करना तथा उसी के अनुसार मृदा का सुधार करना संभव होता है। 

मिट्टी परीक्षण के मुख्य उद्देश्य

मृदा की उर्वरा शक्ति की जाँच करने, फसल व किस्म विशेष के लिए पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा का पता लगाना और मिट्टी परिक्षण के माध्यम से ये भी पता लगाया जा सकता की मिट्टी में उर्वरक व खाद का प्रयोग कब और कैसे कर सकते है। 

मिट्टी परीक्षण के द्वारा मिट्टी की विभिन्न समस्याओँ जैसे की अम्लीयता, लवणीयता, क्षारीयता, रेह, कल्कर तथा प्रदूषण आदि का पता लगाना तथा उसी के अनुसार उसके सुधार में सुझाव देना। 

मिट्टी परीक्षण के द्वारा अम्लीयता, लवणीयता और क्षारीयता को सहन करने वाली फसलों के बारे में भी पता लगया जा सकता है। 

मिट्टी परीक्षण से खेत में फलों के बाग़ लगाने के लिए भूमि की उर्वरा शक्ति का पता लगाया जा सकता है। 

मिट्टी की उपजाऊ शक्ति के मानचित्र बनाना तथा उसके आधार पर क्षेत्र विशेष में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में समय के साथ-साथ होने वाले विभिन्न परिवर्तनों का अध्ययन करना और आवश्यकतानुसार उर्वकर प्रयोग करना। 

ये भी पढ़ें: धान की सीधी बुवाई के लिए प्रमुख जानकारी

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूने लेने की सही विधि 

सर्वप्रथम खेत का सर्वेक्षण करके उसे ढलान,आकार के अनुसार उचित भागों में विभाजन कर लेना चाहिए। इसके बाद टेड़े - मेढे चलते हुए 12-15 निशान लगा ले जिसमें प्रत्येक खेत का आकार एक एकड़ से ज्यादा न ले। यदि पूरी खेत की जमीं एक सामान हो तो ढ़ाई एकड़ का एक नमूना बना सकते है। 

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूने लेने वाले औजार 

  • ट्यूब बोकी 
  • बर्मा टाइप बोकी 
  • पोस्ट होल बोकी 
  • कस्सी या फावड़ा 
  • खुरपी 

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेने की गहराई

अनाज, दहलन, तिलहन, गन्ना, कपास, चारे, सब्जियों तथा मौसमी फूलों आदि के लिए उपरी सतह से  0-15 cm गहराई से 10-15 जगह से नमूना ले और बागवानी या अन्य वृक्षो के लिए 0-30 cm, 30-60 cm तथा 60-90 cm तक के अलग-अलग वृक्षों के अनुसार नमूना ले। सतह से नमूना लेने के लिए खुरपी के सहायता से “V” के आकार का गड्डा बनाये तथा एक किनारे से 2 cm मोटी परत ले। 

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना कैसे तैयार करना है?

किसी भी एक खेत से लिए गए नमूनों को साफ पॉलिथीन सीट पर या बिलकुल साफ जगह रखकर अच्छी तरह से मिला ले। इसके बाद पूरी मिट्टी की मात्रा को गोल आकार में एक सामान मोटाई में फैला ले तथा हाथ से चार भागों में बाट ले तथा आमने - सामने वाले दो हिस्सों को फिर एक साथ मिलाकर चार भागों में बाट ले और सारी मिट्टी को छलनी की सहायता से छान ले ताकि मिट्टी का नमूना बिलकुल साफ हो जाये। यह प्रक्रिया जब तक दोहराये जब तक की 500 ग्राम मिट्टी ना बच जाये। मिट्टी यदि गीली है तो उसे छाया में सुखाकर  साफ थैली में रखे। 

ये भी पढ़ें: मसालों की खेती करने पर बढ़ेगी आय, मिलेगा इस योजना का लाभ

अंत में बची हुई लगभग आधा किलोग्राम मिट्टी को कपड़े या पॉलीथीन की साफ थैली में रखकर उस किसान का नाम, पता, खेत की जमीन का नंबर, नमूना संख्या लिख दे तथा साथ ही साथ एक अलग से कागज पर ये विवरण लिख कर थैली के भर भी लगा दे। नमूने पर पहचान चिन्ह, नमूनों की गहराई, फसल प्रणाली, प्रयोग की खादों व उर्वरकों की मात्रा, समय पर सिंचाई सुविधा तथा साथ आप कौन सी फसल खेत से लेना चाहते है उसका भी नाम लिखे। सही विधि से लिए गए नमूनों को आपके पास के कृषि विज्ञानं केंद्र या नजदीक की मृदा प्रियोगशाला में मृदा परीक्षण हेतु भेजे। 

मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेते समय सावधानियाँ

नमूना खेत का सच्चा प्रतिनिधि होता है। खेत में मिट्टी का नमूना मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की दृष्टि से भिन्न लगने वाले भागों से अलग - अलग नमूना ले। 

मृदा परीक्षण में मृदा के नमूने को लेने के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले औजारों, थैलियों अदि बिल्कुल साफ होने चाहिए। 

मृदा का नमूना खाद के ढेर, पेड़ो, मेढ़ो व सिंचाई की नाली व रास्तों लगभग दो मीटर की दुरी तक नमूने न ले। मृदा के नमूनों को खाद, उर्वरकों एवं दवाइयों के संपर्क में न आने दे। 

जिस खेत में कम्पोस्ट, खाद, चुना, जिप्सम तथा अन्य कोई भूमि सुधारक तत्काल डाला गया हो तो उस खेत से नमूना न ले। 

ये भी पढ़ें: तरबूज की खेती कब और कैसे की जाती है

मिट्टी परीक्षण का सही समय

फसल की बिजाई या रोपाई करने के 30-35 दिन पहले खेत से नमूना लेकर परीक्षण करवा सकते है। आवश्यकता हो तो खड़ी फसल में से भी कतारों के बिच से नमूना लेकर परीक्षण करवा सकते है जिससे की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन किया जा सके।

Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts