हमारे देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है। लकिन आज के आधुनिक युग में बढ़ती जनसंख्या, घटते हुआ कृषि स्त्रोत एवं कृषि उत्पाद के मूल्य की बाजार में असमानता अदि चिंता का विषय है। वर्तमान में हमारे हमारे देश में लगभग 80-85 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत वर्ग के है मतलब की अधिकतर किसानो के पास 1-2 हेक्टेयर से भी कम भूमि है जिनको फसल का उच्च मूल्य दिलाने के लिए एक समुह में बांध कर कृषक उत्पाद संगठन में परिवर्तित करना होगा।
इस पहल पर जोर देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम 1956 को 2013 में संशोदित करके किसान क्लब व स्वय सहायता समूह को किसान उत्पादक संगठन में परिवर्तन करके एक संस्थागत स्वरूप देने का निर्णय लिया है।
किसान उत्पादन संगठन का अर्थ यह है कि जिससे किसानों को मूल्य जिसमें श्रृंखला एवं बाजार आगमन से योजनाबद्ध माध्यम से जोड़ना है। लघु व सीमांत वर्ग के किसान एक सामूहिक संगठन बनाकर कृषि उत्पाद का उत्पादन करें ताकि कृषि से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों का सामान करके, कृषि विकास की सतत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके, निवेश करके एवं अपने उत्पाद को सीधा या मूल्य सर्वाधिक करके उपभोक्ताओ तक पहुंच आसान व प्रभावी बनाये। जिससे वे अपने उत्पाद व विपनव क्षमता का सामूहिक रूप से लाभ उठा सकें।
FPO एक निर्माता कंपनी हो सकती है, एक सहकारी समिति या कोई क़ानूनी रूप जो सदस्यो के बीच लाभ /लाभ बटवारे का प्रावधान करता है। किसान उत्पादक संगठन का निर्माण करने में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड, लघु कृषि कृषक व्यापर संघ, सरकारी विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञानं केंद्र एवं कॉर्पोरेट व घरलू संस्था वित्तीय और तकनिकी सहायता प्रदान करते हुए मार्गदर्शन करती है।
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कृषि उत्पाद का मूल्य श्रृंखला / संवर्धन एवं विपणन क्षमता को योजनाबद्ध तरकी से जोड़ना है। एफ.पी.ओ का मुख्य उद्देश्य संगठन के माध्यम से उत्पादकों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करना है।
कृषक उत्पाद को सीधे उपभोगता तक आसान एवं प्रभावी बनाना।
किसानो को संगठित करके ऋण, निवेश, तकनिकी, क्षमता निर्माण एवं बाजार संपर्क को बढ़ावा देना है।
वर्तमान में हमारे देश में लघु व सीमांत वर्ग के कृषक उत्पादन तो कर लेते है लकिन कर्जदारों के ब्याज या क्रय - विक्रेताओ के तले दबे रहते है। जिससे ना तो वो अपने उत्पादन की अच्छी आय करते, ना ही शुद्ध उत्पाद उपभोग्ता तक पहुंचाया जाता है। कृषक उत्पादक संगठन से कृषकों को विभिन्न सेवायें मिलता है जैसे-
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किसी उत्पादक संगठन को अपने उत्पाद का सीधा विपणन एवं उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए कृषि उपज मंडी समिति के द्वारा मंडी में बिक्री केंद्र खोलने की अनुमिति देता है एवं अन्य जगह पर कृषक उत्पादक संगठन को थोक बाजार लगाने की अनुमति भी देता है।
जिससे FPO के समिति सदस्य अपना उत्पाद सीधा उपभोक्ता तक पंहुचा सकते है जिससे दलाली, मंडी में अन्य लागत एवं सरकारी कर में रियायत मिलती है, एवं किसानों को अपने उत्पाद का सीधा लाभ प्राप्त होता है।
कृषक उत्पादक संगठन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मांग को मध्य नजर रखते हुए अपने उच्च गुणवत्ता युक्त पदार्थ या मूल्य संवर्धित पदार्थो जैसे मशरूम, शहद, अचार, टमाटर सॉस आदि निर्यात नियमानुसार व्यापार करके भी सीधा लाभ कमा सकती है।
कृषक उत्पादक के प्रावधानों में अपने क्षेत्र में कवकनाशी, कीटनाशी एवं उर्वरक कंपनियों को भी खेलने की अनुमति है जिससे किसान को निम्न लाभ प्राप्त होते है –
किसान संगठन कृषि विज्ञानं, कृषि विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर उच्च गुणवक्ता युक्त एवं नयी तकनिकी प्रौद्योगिकी एवं प्रजाति का बीज उत्पादन करके अपने आस - पास के क्षेत्रो के किसानों को उपलब्ध करवा सकता है या देश के अन्य भागों में बेच सकते है। बीज उत्पादन मानकों का ध्यान रखना गुणवक्ता में बढ़ोतरी करता है, कृषि की नवीनतम सतत विकास वाली प्रौद्योगिकियों का प्रचार - प्रसार होगा।
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कृषक उत्पादक संगठन विभिन्न उत्पादों जैसे टमाटर सॉस, मशरूम की डिब्बाबंधी, अचार आदि का मूल्य संवर्धित एवं उत्पादों की सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग एवं लेवलिंग करके सीधा उपभोक्ता तक विपणन कर सकती है। जिसमें समिति को भारतीय खाघ संस्थानों एवं मनको का पालन करना होता है।
कृषक उत्पादक संगठन / समिति एवं सरकारी संस्थान मिलकर कार्य करें तो विभिन्न लाभ प्राप्त होता है जैसे -
कृषक उत्पादक संगठन का प्रबंधन सस्दयों के द्वारा निर्वाचित बोर्ड के निर्देशक मंडल (5-15) द्वारा होते है वो अलग क्लस्टरों में कार्य को देखते है एवं एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी जो विपणन एवं समिति के लेखा जोखा को देखता है।
कृषि उत्पादन के प्राथमिक उत्पादक के रूप में सदस्य बन सकते है जो संगठन के कार्य से संबंधित अपना कार्य या उत्पादक रखता हो। इसमें सदस्यता स्वैच्छिक है लेकिन सदस्यता के समय समिति के द्वारा निर्धारित निम्नतम शुल्क का प्रावधान है एवं समिति के नियमों का पालन करने पर सदस्य बन सकते है।
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जी है यदि उस कृषक के क्षेत्र में दो या दो से अधिक कृषक उत्पाद संगठन है एवं उनके कार्य क्षेत्र अलग अलग है तो कृषक दोनों की सदस्यता ले सकते है। यदि एक कृषक उत्पाद संघटन का उद्देश्य सब्जी व बागवानी एवं दूसरा दुग्ध उत्पादन का है तो अमुख कृषक दोनों क्षेत्र / कार्य का उत्पादन करता है तो वो दोनों समिति की सदस्यता ले सकता है।
कृषक संगठन का प्रमुख उद्देश्य उत्पादकों को एकत्रीकरण और मूल्य संवर्धित करके सदस्यों से खरीद आमतौर पर नहीं की जाती है। हालांकि कई बार बाजरा और मुंग एवं उपभोक्ता की श्रृंख्ला को बनाये रखने के लिए एवं उपभोक्ता की मांग पूरी करने के लिए संगठन अन्य सदस्यों से उत्पादन खरीद सकता है। जिसका लाभ कृषक उत्पादक संगठन को मिलता है जिसमें समय आने पर लघु सीमांत किसानों की सहायता की जा सकती है।
जी है, यह कर सकते है। कृषि उपज के निर्यात के लिए सभी सदस्यों को अच्छी कृषि प्रणाली का पालन करना होगा। अन्य विसिष्ट गुणवत्ता मानक भी है जो आयातक करने वाले देश अलग - अलग उत्पाद के लिए लगते है। जिनका अनुपालन करना आवश्यक है।
जैसे इसके लिए कृषि संगठन को अच्छी प्रणाली को अपनाना होगा एवं आयातक देशों के गुणवत्ता मानक को मद्देनजर रखते हुए गुणवक्ता युक्त उत्पादन होगा। जैसे सब्जियों व अनाज में ज्यादा रासायनिकों का प्रयोग नहीं, टमाटर सॉस या अचार को बनाने में भारतीय खाघ मानको का पालन आदि।